What is the Quran : क़ुरआन क्या है? : Allah Ka Sandesh


What is the Quran? Allah ka Sandesh

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

शुरू अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम करने वाला है  

क़ुरआन क्या है? (What is the Quran?)

نحمدہ و نصلی علی رسولہ الکریم، اما بعد – اعوذ باللہ من الشیطان الرجیم، بسم اللہ الرحمٰن الرحیم

अल्लाह तआला के इरशादातः

क़ुरआन में अल्लाह तआला का फरमान है कि ‘‘बताओ तो इल्म वाले और बे इल्म क्या बराबर हैं? यक़ीनन नसीहत वही हासिल करते हैं जो अक़्लमंद हों’’ (सूरत ज़ुमुर: 39/9)  

इन्न-नहनू नज़्ज़ल्नज़ ज़िक्रा व इन्ना लहू लहाफिज़ून  (सूरतुल हिज्र 15, आयत नं0: 9)

तर्जुमा: इस क़ुरआन को हमने नाज़िल किया और हम ही इसकी हिफाज़त करने वाले हैं।  

इन्नहु लक़ुरआनुन करीमुन, फी किताबिम-मकनून (सूरतुल वाक़िअ 56, आयत नं0: 77-78)

तर्जुमा: बेशक़ ये क़ुरआन बहुत बड़ी इज़्ज़त वाला है जो एक महफूज़ किताब में दर्ज है।  

इन्न-हाज़ल क़ुरआन यहदी लिल्लती हिया अक़्वमु (सूरतु बनी इस्राईल 17, आयत नं0: 9)

तर्जुमा: यक़ीनन ये क़ुरआन उस राह की तरफ रहनुमाई करता है जो सब से ज़्यादा सीधी है    

नबी-ए-करीम जनाब मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि ‘‘तुम में बेहतर शख़्स वो है तो क़ुरआन सीखे और सिखाये’’। (सहीह बुख़ारी)  

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि “दीन-ए-शरीअत का इल्म सीखना और सिखाना हर मुसलमान पर फर्ज़ है’’ (इब्ने माजा)  

हर तरह की तारीफें, शुक्र व एहसान उस अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के लिए है जिसने हम सब इंसानों को अपनी तमाम मख़लूक़ में सबसे बेहतर बनाया और हमारी हिदायत के लिए सिर्फ अम्बिया किराम को ही नहीं भेजा बल्कि आसमान से पाक कलाम क़ुरआन मजीद भी उतारा ताकि इंसान इसके मुताबिक़ अपनी ज़िन्दगी का निज़ाम बना सके। इस क़ुरआन मजीद को अल्लाह तआला ने वह्यी की ज़रिए अपने प्यारे रसूल सल्लल्ललाहु अलैहि वसल्लम के सीन-ए-मुबारक पर 23 साल तक नाज़िल फरमाया, पूरा क़ुरआन नाज़िल हो जाने के बाद वह््यी का सिलसिला ख़त्म हो गया। ये जामे किताब क़ुरआन मजीद अल्लाह तआला की किताब है जिसकी आयतें बड़ी जामे और अज़ीम हैं, जोकि क़यामत तक के लिए सभी इंसान और जिन्नात का आखि़री दस्तूर क़रार पाया।  

दुनिया की हर चीज़ अल्लाह तआला की नेअमत है जैरे कि खाने-पीने की चीज़े, पहनने के लिए कपड़े और ज़ेवरात, रहने के लिए ज़मीन और अच्छा घर व महल वग़ैरह, जाने आने के लिए सवारियां, इंसानी ज़िन्दगी की रोज़मर्रा की चीज़ें, कारोबार, हवाई जहाज़, कम्प्यूटर, मोबाइल और अन्य इलैक्ट्रानिक चीज़े वग़ैरह हैं इनमें से हर चीज़ अपना एक अगल मुक़ाम रखती है, बेशक़ ये सारी चीज़ें हमें अल्लाह तआला ने ही अता फरमायीं हैं, जिनका आज हम अपनी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में इस्तेमाल करते हैं।  

इन तमाम चीज़ों में सबसे अहम रोल इन दुनिया में इंटरनेट, कम्प्यूटर और मोबाइल का माना जाता है। बेशक़ ये अल्लाह तआला की बहुत बड़ी नेअमत है, अगर इसका सही और जायज़ इस्तेमाल किया जाये तो बहुत फायदेमंद साबित होगा।  

अल-हम्दु-लिल्लाह! इलैक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से दुनिया भर में कुछ सालों से दुनिया की अनेक भाषाओं में दावत-ए-इस्लाम का काम बहुत तेज़ी से फैल रहा है जिसमें वेबसाइट्स और यू-ट्यूब वग़ैरह की काभी अच्छी भूमिका नज़र आ रही है। और क्यों ना हो, अल्लाह तआला जिस किसी से और जिस चीज़ से चाहे अपने दीन का काम ले लेता है। सब काम अल्लाह तआला के फज़ल व करम और उसकी तौफीक़ से ही होते हैं।  

और अल-हम्दु-लिल्लाह! इसी तरह अल्लाह तआला ने मुझे भी ये शर्फ बख़्शा, और दीन-ए-इस्लाम की समझ अता फरमायी, हिदायत पर चलने की तौफीक़ अता फरमायी। ये बात आप लोगों से साझा करते हुए मुझे बेहद ख़ुशी महसूस हो रही है कि क़ुरआन मजीद का हिन्दी तर्जुमा इस ब्लाॅग के ज़रिए आप तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा हूँ। अल्लाह से दुआ है कि हमारी इस कोशिश को हमारे लिए और हमारे माँ-बाप के लिए सदक़ा-ए-जारिया बनाये और आखि़रत में निजात का ज़रिया बनाये, आमीन!  

आज हम जिस मुक़ाम पर पहुँचे हैं वो हमारे वालिदे मोहरम जनाब ज़ियाउद्दीन और हमारी वालिदा मोहतरमा शबनम की कोशिशों और दुआओं का नतीजा है, आज मैं अपनी वालिदा और वालिदे मोहतरम का बेहद शुक्र गुज़ार हँू कि जिन्होंने बेहद तकलीफें और परेशानियों का सामना करते हुए मुझे और मेरे सभी भाईयों व बहनों को अच्छी तालीम और अच्छी तरबियत देने की भरपूर कोशिश की है और इसी कोशिश का ये नतीजा है। हमारे वालिदे मोहतरम जनाब ज़ियाउद्दीन इस दारे फाने से माहे रमज़ान दिनांक 30 मई 2017 को वफात पा चुके हैं, अल्लाह तआला उनकी क़ब्र को जन्नत का बाग़ बनाये और उनकी मग़फिरत फरमाये, आमीन!  

हक़ीक़त तो ये है कि ये सब हमारे अल्लाह का हम पर बहुत बड़ा फ़ज़ल व करम है। हमारी इस कोशिश में जो कुछ ख़ूबी है वह अल्लाह तआला के करम और उसकी मेहरबानी से है और जो कमी है वह हमारी ख़ुद की कमी का नतीजा है। दर हक़ीक़त क़ुरआन मजीद के अलावा दुनिया की कोई किताब इन्सानी भूल-चूक से खाली नहीं, इंशा अल्लाह हम पूरी कोशिश करेंगे कि क़ुरआन मजीद के माअनी को हिन्दी भाषा में नक़ल करने में कोई ग़लती या कमी न हो, लेकिन हम इन्सान हैं इन्सानी भूल-चूक और अपनी इल्म की कमी की वजह से या टाईपिंग में ग़लती की वजह से अगर पोस्ट में कोई ग़लती या कमी रह जाये तो पाठक महोद्य (हज़रात) से और उल्मा व तलबा से गुज़ारिश है कि उससे हम को कमेण्ट बाक्स या ई-मेल के ज़रिए ज़रूर आगाह करें।   

अल्लाह तआला हम सबको अपने कलाम-ए-पाक की खि़दमत (सेवा) करने की तौफीक़ अता फरमाये, हमारी गल्तियों को माफ करे और हमें इख़्लास के साथ पैग़ाम-ए-इस्लाम को लोगों तक पहुँचाने की सआदत अता फरमाये। आमीन!   

शहाबुद्दीन बिन ज़ियाउद्दीन

ड्रायरेक्टर/ट्रस्टी

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