Umar Bin Khattab (RA) : हज़रत उमर रजिअल्लाहु अन्हु के बारे में : Part 1


(बिस्मिल्लिहिर्रहमानिर्रहमी)

(नाम व नसब, कुन्नियत व अलक़ाब)

आपका नाम व नसब ये है-

उमर बिन ख़त्ताब बिन नुफैल बिन अब्दुल उज़्जा़ बिन रियाह बिन अब्दुल्लाह बिन क़ुर्त बिन रज़ाह बिन अदी बिन कअब बिन लुवी बिन ग़ालिब अल-क़ुरशिल अदवी।

आपका नसब कअब बिन लुवी बिन ग़ालिब पर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नसब नामा से जा मिलता है।

आपकी कुन्नियत अबु हफ्स़ है। आपका लक़ब फारूक़ है। इस लिए कि आपने मक्का मुकर्रमा में जब इस्लाम ज़ाहिर किया तो इसके ज़रिए अल्लाह ने कुर्फ और ईमान के दरमियान खुली जुदाई कर दी।

पैदाइश और जिस्मानी औसाफः

उमर रजिअल्लाहु अन्हु आम-उल-फील के तैराह (13) सालों बाद पैदा हुए। आपके जिस्मानी औसाफ ये थे कि आप ख़ूब गोरे चिट्टे, सुर्खी माइल रंग के थे। दोनों रूख़्सार, नाक और दोनों आँखें निहायत ख़ूबसूरत थीं। दोनों पांव और हथेलियां मोटी थीं, गोश्त से भरे हुए आज़ा, दराज़ क़ामत और मज़बूत जिस्म के मालिक थे, सिर के आगे के बाल गिरे हुए थे, क़द व क़ामत के इतने लम्बे गोया कि आप घोड़े पर सवार हों, सख़्त ताक़तवर थे, कमज़ोर और बुज़दिल न थे, मेहंदी का खि़ज़ाब लगाते थे, मूझें दोनों तरफ बढ़ी रहती थीं, जब चलते तो तेज़ चलते और जब बोलते तो तेज़ आवाज़ से बोलते और मारते तो कारी ज़र्ब लगाते।

ख़ानदानः

आपके वालिद ख़त्ताब बिन नुफेल हैं। आपके दादा नुफेल बिन अब्दुल उज़्जा़ उन लोगों में से थे जिन के पास क़ुरैश के लोग फैसला लेकर आते थे। आपकी वालिदा का नाम हन्तमा बिन्त हाशिम बिन मुग़ीरह है। और कहा गया है कि अबू जहल की बहन थीं। लेकिन अक्सर मुअर्रिख़ीन के नज़दीक वो हाशिम यानी अबू जहल बिन हिश्शाम के चचा की लड़की हैं।

आपकी बीवियों, लड़कों और लड़कियों की तफसील ये है कि आपने ज़माना-ए-जाहिलियत में (1) ज़ैनब बिन्त मज़ऊन यानी उस्मान बिन मज़ऊन की बहन से शादी किया, इससे अब्दुल्लाह, अब्दुल रहमान कलां और हफ़्सा की विलादत हुयी।

और (2) मलीका बिन्त जरूल से शादी किया, इससे सिर्फ एक लड़का अब्दुल्लाह पैदा हुआ। आपने इस को जंग बन्दी के दौरान तलाक़ दे दिया और इस से अबू जहम बिन हुज़ैफा ने शादी कर लिया।

और (3) क़ुरैबा बिन्त अबी उम्मिया मख़्ज़बी से शादी किया, इसे भी आपने तलाक़ दे दिया, फिर इससे अब्दुल रहमान बिन अबू बकर रजिअल्लाहु अन्हु ने शादी कर लिया। 

और (4) उम्मे हकीम बिन्त हारिस बिन हिश्शाम से उस वक़्त शादी किया जबकि उनके शौहर अकरमा बिन अबू जहल रजि़अल्लाहु अन्हु को शाम में क़त्ल कर दिया गया। इससे फातिमा की पैदाइश हुयी फिर आपने इसे भी तलाक़ दे दिया। और यह भी कहा गया है कि आपने तलाक़ नहीं दिया।

नीज़ आपने (5) जमीला बिन्त आसिम बिन साबित बिन अबिल उक़्लह से शादी किया जिसका ताल्लुक़ क़बीला-ए-औस से था।

और आपने (6) आतिका बिन्त ज़ैद बिन अम्र बिन नुफेल से शादी किया, आपसे पहले वह अब्दुल्लाह बिन अबु बकर की ज़ौजियत में थीं। जब उमर रजिअल्लाहु अन्हु शहीद कर दिये गये तो उनसे ज़ुबैर बिन अव्वाम रजिअल्लाहु अन्हु ने शादी कर लिया। कहा जाता है कि वह आपके लड़के अयाज़ की मां हैं। वल्लाहु आलम!

आपने उम्मे कुल्सूम बिन्त अबी बकर को शादी का पैग़ाम जब कि वो छोटी थीं आईशा रजिअल्लाहु अन्हा के ज़रिए भेजा। उम्मे कुल्सूम ने कहाः मैं उनसे शादी नहीं करूंगी। आईशा रजिअल्लाहु अन्हा ने कहाः तुम अमीर-उल-मुअमिनीन से शादी करने से गुरेज़ करती हो? उन्होंने कहाः हाँ! वो ख़ुश्क ज़िन्दगी वाले हैं। और फिर आईशा रजिअल्लाहु अन्हा ने अम्र बिन आस रजिअल्लाहु अन्हु को इस सिलसिले में ख़ुशख़बरी दी तो उन्होंने उमर बिन ख़त्ताब रजिअल्लाहु अन्हु को उनके इरादे से रोक दिया।

और (7) उम्मे कुल्सूम बिन्त अली बिन अबी तालिब की तरफ रहनुमाई की जो कि फातिमा बिन्त रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की लड़की थीं। और आप रजिअल्लाहु अन्हु ने फरमायाः आप उनसे रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ताल्लुक़ होने की वजह से शादी कर लो, चुनांचे उमर रजिअल्लाहु अन्हु ने अली रजिअल्लाहु अन्हु को पैग़ाम दिया, अली रजिअल्लाहु अन्हु ने उम्मे कुल्सूम से आपकी शादी कर दी और उमर रजिअल्लाहु अन्हु ने उम्मे कुल्सूम को 40 हज़ार मेहर अदा किया, उनसे ज़ैद और रूक़ईया की विलादत हुयी।

इसी तरह आपने (8) लुह्या नामी एक यमनी औरत से शादी किया, उससे अब्दुल रहमान खु़र्द की विलादत हुयी। और ये भी कहा गया है कि वो मंझले अब्दुल रहमान थे। वाक़दी का बयान है कि ये आपकी बीवी ना थीं उम्मे वलद थीं। मुअर्रिख़ीन का कहना है कि आपकी मातेह्ती में फक़ीहा नामी उम्मे वलद थी और इससे ज़ैनब की विलादत हुई थी। वाक़दी के मुताबिक़ आप रजिअल्लाहु अन्हु की औलाद में ये सबसे छोटी बच्ची थीं। इस तरह मजमूआ तौर पर आपके कुल तेरह (13) औलादें हुईं।

‘‘ज़ैद अकबर, ज़ैद असग़र, आसिम, अब्दुल्लाह, अब्दुल रहमान अकबर, अब्दुल रहमान औसत, अब्दुल रहमान असग़र, उबैदुल्लाह, अयाज़, हफ्सा, रूक़ईया ज़ैनब और फातिमा रजिअल्लाहु अन्हुम’’

आपकी बीवियां जिनसे आपने ज़माना-ए-जाहिलियत या इस्लाम में शादी की, फिर उनको तलाक़ दे दिया जो आपकी असमत में वफात तक रहीं उनकी मजमूयी तादात सात है।

आप रजिअल्लाहु अन्हु कसरते औलाद और उम्मते मुहम्मदिया में इज़ाफे की नियत से शादियां करते थे। 

आप रजिअल्लाहु अन्हु का क़ौल हैः

‘‘मैं सिर्फ शहवत बुझाने की नियत से औरतों के पास हीं आता, अगर औलाद का मामला ना होता तो मुझे इस बात की क़तअन कोई परवाह ना होती कि अपनी आँखों से किसी औरत को ना देखूँ।’’

एक मर्तबा आपने फरमायाः

मैं खुद को जिमा करने पर इस लिए मजबूर करता हूँ कि मुमकिन है अल्लाह तआला मेरे नुत्फे से ऐसी औलाद अता कर दे जो उस की तसबीह करे और उस को याद करे।’’

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