Sahih Bukhari 1442 : दो फ़रिश्तों की दुआ और बद दुआ


(बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम), दोस्तों, अल्लाह की राह में ख़र्च करने की बहुत फ़ज़ीलत है, अल्लाह की राह में ख़र्च करने से मुराद अपने घर वालों पर, रिश्तेदारों पर, ग़रीबों और मोहताजों पर, पड़ौसियों पर, मिसकीनों, यतीमों और बेबस व बेसहारा लोगों पर ख़र्च करना, ऐसे लोगों के लिए फ़रिश्ते दुआ करते हैं और जो लोग अल्लाह की राह में ख़र्च नहीं करते उनके लिए सख़्त वईद आयी है और इनके लिए फ़रिश्ते बद दुआ करते हैं। 

अल्लाह की राह में खर्च करने को ही सदक़ा कहते हैं और सदक़ा करने वाले के लिए फरिश्ता दुआ करता है जैसाकि सही बुख़ारी की हदीस नं0 1442 में अबु हुरैरह रज़ि0 फरमाते हैं कि नबी अकरम सल्ल0 ने फ़रमाया कि "कोई दिन ऐसा नहीं जाता कि जब बन्दे सुबह को उठते हैं दो फरिश्ते आसमान से न उतरे, मतलब दो फ़रिश्ते रोज़ उतरते हैं, एक फ़रिश्ता ये कहता है ‘‘ऐ अल्लाह! ख़र्च करने वाले को इसका बदला दे’’ और दूसरा कहता है कि ‘‘ऐ अल्लाह ‘‘मुमसिक’’ को और बख़ील के माल को तल्फ कर दे, ख़त्म कर दे, बर्बाद कर दे, हलाक कर दे’’।

दो फ़रिश्ते आसमान से उतरते हैं एक दुआ देता है ख़र्च करने वाले को बेहतर बदला दे और एक बद दुआ देता है कि ख़र्च न करने वाले को बर्बाद कर दे। तो आप ख़ुद अंदाज़ा लगा लीजिए कि दो फ़रिश्ते आते हैं एक फ़रिश्ता दुआ के लिए और एक फ़रिश्ता बद दुआ के लिए। ये बात याद रखिए कि फ़रिश्ते अल्लाह की मुक़र्रब मख़लूक़ है और ये नेक होते हैं, अलग-अलग कामों पर अल्लाह ने उनको तैनात कर रखा है, अल्लाह की हम्द व सना और दीगर दुनिया का जो मामला है अल्लाह इनके ज़रिए करवाता है। इस मख़लूक़ की दुआ का मुस्तहिक़ होना बहुत बड़ी बात होती है और इस मख़ूलक़ की बद दुआ का मुस्तहिक़ होना भी बहुत बड़ी बात होती है, चूंकि ये अल्लाह के हुक्म के बग़ैर कुछ नहीं करते। जब ये दुआ भी देते हैं तो अल्लाह के हुक्म से ही देते हैं और बद दुआ भी अल्लाह के ही हुक्म से देते हैं।

फ़रिश्ता दुआ करता है देने वाले के लिए रोज़ सुबह और ऐसा कोई दिन नहीं गुज़रता कि इंसान जब उठता है तो फ़रिश्ता दुआ करता है कि ऐ अल्लाह देने वाले को अता कर और दूसरा बद दुआ करता है कि ऐ अल्लाह जमा करने वाले को बर्बाद व हलाक कर। मतलब अल्लाह की राह में ख़र्च करो तो फ़रिश्ते की दुआ का मुस्तहिक बन जाओगे और अल्लाह की राह में ख़र्च न करो बस बद दुआ का मुस्तहिक बन जाओगे।

حَدَّثَنَا إِسْمَاعِيلُ , قَالَ : حَدَّثَنِي أَخِي ، عَنْ سُلَيْمَانَ ، عَنْ مُعَاوِيَةَ بْنِ أَبِي مُزَرِّدٍ ، عَنْ أَبِي الْحُبَابِ ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ ، أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ : مَا مِنْ يَوْمٍ يُصْبِحُ الْعِبَادُ فِيهِ إِلَّا مَلَكَانِ يَنْزِلَانِ فَيَقُولُ أَحَدُهُمَا : اللَّهُمَّ أَعْطِ مُنْفِقًا خَلَفًا ، وَيَقُولُ الْآخَرُ : اللَّهُمَّ أَعْطِ مُمْسِكًا تَلَفًا 

 نبی اکرم ﷺ نے فرمایا ، کوئی دن ایسا نہیں جاتا کہ جب بندے صبح کو اٹھتے ہیں تو دو فرشتے آسمان سے نہ اترتے ہوں ۔ ایک فرشتہ تو یہ کہتا ہے کہ اے اللہ ! خرچ کرنے والے کو اس کا بدلہ دے ۔ اور دوسرا کہتا ہے کہ اے اللہ ! «ممسك» اور بخیل کے مال کو تلف کر دے ۔

کتاب زکوۃ کے مسائل کا بیان#1442
Status: صحیح

Explanation: जिसने (अल्लाह के रास्ते में) दिया और उसका ख़ौफ़ रखा और अच्छाईयों की (यानी इस्लाम की) तसदीक़ की तो हम उसके लिए आसानी की जगह यानी जन्नत आसान कर देंगे। लेकिन जिसने बख़ील किया और बेपरवाही बरती और अच्छाइयों (यानी इस्लाम को) छोड़ दिया तो उसे हम दुश्वारियों में (यानी दोजख़ में) फंसा देंगे और फ़रिश्तों की उस दुआ का बयान कि ऐ अल्लाह! माल ख़र्च करने वाले को उसका अच्छा बदला अता फरमा।
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