अगर कोई आदमी ये कहे कि जादूगर सितारों के नाम लेकर उनसे मुख़ातिब होते हुए नज़र आते हैं और इसके बाद उनका जादू मुकम्मल होता है, तो इसका जवाब ये है कि ये चीज़ जादू की तासी़र की वजह से नहीं शैतानों की तास़ीर की वजह से होती है, क्योंकि ख़ुद शैतानों ने जादूगरों को ये तालीमात दे रखी होती हैं कि वो सितारों को पुकारा करें, चुनांचे वो जब ऐसा करते हैं तो खुद शैतान जादू के सिलसिले में उनकी मदद करते हैं, लेकिन उसका पता जादूगरों को नहीं लगने देते।
कुछ जादूगर इस मक़सद के लिए क़ुरआन मजीद को अपने पावों से बांधकर बैतुलख़ला में जाते और कुछ कुरआन मजीद की आयात को गन्दगी से लिखते हैं, कुछ उन्हें हैज़ के ख़ून से लिखते हैं, कुछ क़ुरआनी आयात को अपने पावों के निचले हिस्सों पर लिखते हैं। कुछ जादूगर सूरह: फ़ातिहा को उल्टा लिखते हैं और कुछ बग़ैर वुज़ू के नमाज़ पढ़ते हैं और कुछ हमेशा हालत ए जनाबत में रहते हैं और कुछ जादूगरों को शैतान के लिए जानवर ज़िबह करने पड़ते हैं और वो भी बिस्मिल्लाह पढ़े बग़ैर और ज़िबह शुदा जानवरों को ऐसी जगह पर फ़ैंकना पड़ता है जिसको ख़ुद शैतान तय करता है।
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