Special on Ambedkar Jayanti: समानता एवं बराबरी


अम्बेडकर जयंती पर विशेष....

सर्वशक्तिमान अल्लाह की नज़र में सभी लोग समान हैं, भले ही वे सभी एक-दूसरे के समान न हों। रूप-रंग, धन-संपदा, महत्वाकांक्षाएँ, योग्यताएँ इत्यादि आदि में भिन्नताएँ होती हैं। हालाँकि, इनमें से कोई भी अंतर स्वयं एक व्यक्ति की दूसरे पर श्रेष्ठता की स्थिति स्थापित नहीं कर सकता है।

इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान निर्दिष्ट करती है कि सम्पूर्ण मानव समुदाय  और महिलाएं दोनों आध्यात्मिक रूप से समान हैं, किसी के साथ कोई भेद नहीं है।

"जो अच्छे कर्म करेगा, चाहे पुरुष हो या स्त्री, यदि वह ईमान वाला है तो ऐसे लोग जन्नत में दाख़िल होंगे। और उनका हक़ रत्ती भर भी मारा नहीं जाएगा।" (कुरान 4:124)

सारे संसार के रचनाकार स्वामी ने अपनी किसी भी रचना में किसी के साथ कोई भेद नहीं किया है, हर चीज़ का अपना महत्व है और हर चीज़ के बिना जीवन शून्य है, सर्दी गर्मी सब को एक जैसी लगती है, बारिश सभी को भिगोती है, सूरज और चांद सब को समान रोशनी देता है, हवा जल भोजन सब कुछ एक जैसा समान नियम, सभी मां के गर्भ से जन्म लेते है, कोई भेद नहीं है, इंसान के श्रेष्ठता का पैमाना उसके कर्म है, जो अच्छे आचरण वाला है वह अच्छा है और जो बुरे आचरण वाला है वह बुरा है, चाहे किसी ने किसी भी कुल खानदान में जन्म लिया हो।

" ऐ लोगो! हमनें तुम्हें एक पुरुष और एक स्त्री से पैदा किया और तुम्हें बिरादरियों और कबीलों का रूप दिया, ताकि तुम एक-दूसरे को पहचानो। वास्तव में अल्लाह के यहाँ तुममें सबसे अधिक प्रतिष्ठित वह है, जो तुममें सबसे अधिक डर रखता है। निश्चय ही अल्लाह सब कुछ जानने वाला, ख़बर रखने वाला है।" (क़ुरआन 49:13)

नाम, जातियां, कबीले, खानदान मात्र इंसानी पहचान के लिए हैं, न कि श्रेष्ठता और बड़ाई के लिए, क्यों कि न तो सारे शहरों का नाम दिल्ली रखा जा सकता है, और न ही सारे इंसानों का एक नाम और एक जात रखी जा सकती है, अगर ऐसा किया गया तो इंसान न तो किसी को पहचान सकता है और न ही सही शहर और सही जगह तक पहुंच सकता है।

इन्हीं बातों को लेकर भारत रत्न डाक्टर बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी ने कहा था कि...

"इस्लाम सच्चाई और समानता की शिक्षा देता है।"

‘‘...इस्लाम धर्म सम्पूर्ण एवं सार्वभौमिक धर्म है जो कि अपने सभी अनुयायियों से समानता का व्यवहार करता है (अर्थात् उनको समान समझता है)।

"यह तलवार नहीं थी कि इस्लाम धर्म का इतना प्रभाव हुआ बल्कि वास्तव में यह थी सच्चाई और समानता जिसकी इस्लाम शिक्षा देता है...।’’

बाबा साहब डॉ॰ भीम राव अम्बेडकर (बैरिस्टर, अध्यक्ष-संविधान निर्मात्री सभा)(‘द स्पोक अम्बेडकर’ चौथा खंड—भगवान दास, पृष्ठ 144-145 से उद्धृत)

(Writer : Mr. Abdul Rehman Humanist)

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