नम्बर 1:
सबसे बड़ा ख़तरा हमजोलियों (दोस्तों) से होता है, क्योंकि अगर ये दोस्त बदज़बानी करने वाले होंगे तो आप भी उनकी देखादेखी गालियाँ बकने लगेंगे। गंदी बातें आपकी आदत बन जाएंगी और किसी अच्छी सोसायटी में बैठने के क़ाबिल नहीं रहेंगे। फिर मुहल्ले के बदकार (दुष्ट) लोग और दुकानदार आपको लालच देकर बुरे कामों में फंसाने की पूरी-पूरी कोशिश करेंगे और आप नासमझी और नादानी की वजह से उनके चंगुल में फंस जाएंगे। इसलिए बदमाश लोग, बदचलन, दुकानदार, आवारा मिज़ाज, ख्वान्चा फ़रोश ऐसे मर्द और औरतें या लड़के और लड़कियाँ जो ख़राब आदतों के मालिक हैं। आपके लिए सबसे ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो सकते हैं और इनसे बचना आपके लिए बिल्कुल उसी तरह ज़रूरी है जिस तरह किसी हादसे (दुर्घटना) से बचना लाज़मी है। ऐसे लोग आपको मिठाई देकर या पैसे देकर या तफ़रीह (खेल) वग़ैरह का लालच देकर अपने साथ ले जाएँगे और फिर आपको बदकारी (दुराचार) की राह पर डाल देंगे। इस तरह आप इन लोगों को अपना दुश्मन न० 1 समझें और जहां कोई आपको इस किस्म का लालच दें या तोहफ़ा (भेंट) देने की कोशिश करें फ़ौरन इंकार कर दें और उसे डाँट कर कहें –
“ख़बरदार, जो तुमने दोबारा यह हरकत की। क्या तुमने मुझे जलील लड़का समझ रखा है?”
और अगर कोई बात ग़लत हो जाए तो फ़ौरन बिना झिझक अपने वालिदैन को इसकी इत्तिला (सूचना) दें, ताकि वे आपकी हिफ़ाज़त (सुरक्षा) कर सकें और आपको तबाही से बचा सकें।
नम्बर 2:
स्कूल में गंदे और बुरे लड़के आपको फांसने की कोशिश करेंगे। इसलिए उनके साथ बिल्कुल कोई संबंध न रखें, वरना वे आपको अख़्लाक़ी तौर पर तबाह (नष्ट) करके रख देंगे और अगर आप एक बार इनके क़ाबू (नियंत्रण) में आ गए तो फिर वह आपको कभी इससे निकलने नहीं देंगे, बल्कि दूसरे गंदे और वाहियात लड़कों के पास ले जाया करेंगे। हम इसकी मज़ीद तफ़सील (अधिक विस्तृत जानकारी) आइंदा पोस्ट में बताएंगे। हाँ यह बात हम आपको एक बार फिर कहते हैं कि आजकल तो स्कूलों में लड़कों के अलावा उस्ताद (शिक्षक) भी ऐसे बदकिरदार (दुष्ट) मिलते हैं जो मासूम शागिर्दों (शिष्यों) की इज़्ज़त से खेलते और उनसे बदकारी करते हैं। ऐसे ज़ालिमों (उपद्रवियों) के पास हरगिज़ न जाइए। किसी दुकान या मकान पर अगर वह बुलाएं तो साफ इन्कार कर दीजिए। अगर वह आपको तंग करें या बार-बार बुलाएं या किसी ख़राब बात पर इसरार (हट) करें या मुफ़्त ट्यूशन पढ़ाने, तोहफ़े देने, सैरो-सियाहत (पर्यटन) कराने वग़ैरह के बहाने से आपको अपने मकान या किसी दूसरी जगह पर बुलाएं तो फौरन अपने वालिदैन और हेड मास्टर को इसकी इत्तिला दें, ताकि ऐसे बदकिरदार उस्ताद फिर कभी आपको फांसने की कोशिश न करने पाएं। अगर आपने ग़फ़लत (असावधानी) की या डर कर ख़ामोश रहें तो हमेशा के लिए तबाह हो जाएंगे।
नम्बर 3:
आपकी उम्र के साथ-साथ आपकी ज़हनी क़ुव्वत (मानसिक शक्ति) भी बढ़ती है और तरह-तरह के ख़्यालात (इच्छाएं) पैदा होने लगते हैं, बल्कि सताना शुरू कर देते हैं। हत्ता कि पढ़ने-लिखने के मज़ाक और आदात में भी तब्दीली होने लगती हैं और फिर रिसाले (पत्रिकाएं) और किताबें पढ़ने का शौक़ जुनून (पागलपन) की सूरत इख्तियार कर जाता है, जिनमें इश्क़िया अफ़साने, रोमांटिक कहानियां, मार-धाड़ और जुर्मो-सज़ा की कहानियाँ हों, कसरत से सिनेमा और टेलीविजन देखने की ख़्वाहिश बढ़ जाती है, लेकिन कुछ समय बाद लड़ाई-झगड़े की कहानियों की बजाए, इश्को-मुहब्बत और सुराग़ रसानी (जासूसी) के अफ़साने पढ़ने का शौक़ इस क़दर ग़ालिब आ जाता है कि स्कूलों की किताबें पढ़ने बल्कि देखने को दिल नहीं चाहता और ज़्यादा वक़्त ऐसी ही किताबें और रिसालें पढ़ने में गुज़रने लगता है, फिर स्कूल या कालेज की किताबें ख़ुश्क और बेकार-सी महसूस होने लगती हैं। इसलिए जब पढ़ाई से दिल उचाट होने लगे तो फ़ुजूल किताबें बंद कर दें। अच्छे दोस्तों की मजलिस (सभा) का लुत्फ़ (आनंद) उठाएँ । बड़े-बड़े आदमियों की संवाहने उमरी (आत्म-चरित्र वर्णन) पढ़ें या तारीख़ी नाविल पढ़ें ताकि आपका दिल उचाट न हो।
नम्बर 4:
सिगरेट नोशी (धूम्रपान), सिनेमा बीनी (देखना), आवारागर्दी और नशेबाज़ी की आदतें पैदा हो जाती हैं और जब इनका ख़र्च पूरा करने के लिए पैसे नहीं मिलते तो फिर समझदार बच्चे पार्ट-टाईम काम करने लगते हैं और बाक़ी गुमराह होकर चोरी करते हैं या बदकारी के ज़रिए पैसे कमाते हैं या झूठ बोलकर और धोका देखकर घरवालों से रक़म हासिल करने लगते हैं। इस तरह उनके अख़्लाक़ तबाह हो जाते हैं।
अपना मुहासिबा (निर्णय) ख़ुद कीजिए और देखिए आप किसी ख़तरे की जाल में तो नहीं फंस गए? क्योंकि इन सब ख़तरों से बचना आपके लिए अत्यन्त ज़रूरी है।
इस पोस्ट के माध्यम से मैंने आप सभी को उपरोक्त ख़तरों से आगाह कर दिया है, अतः अब आपको चाहिए कि उपरोक्त ख़तरों से स्वयं बचने की पूरी कोशिश करते रहें, साथ ही अपने घर वालों और अपने दोस्तों को और आस पास के लोगों को भी उपरोक्त ख़तरों से बचाने का प्रयास करते हुए अपना कर्तव्य निभाएं।
जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फ़रमान है कि “तुम लोगों को भलाई का हुक्म करते रहो और बुराईयों से रोकते रहो।
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