Disbeliever : काफ़िर (Disbeliever) शब्द तीन अरबी मूल अक्षरों ‘क-फ़-र’ से बना है। क़ुरआन में इस मूल से बने 54 शब्दों में से 51 शब्द जो (74 अध्यायों (सूरा) की 479 आयतों में 521 बार आए हैं), निम्नलिखित भाव में प्रयुक्त हैं। इन सारे शब्दों का मूल शब्द ‘कुफ़्र’ है; काफ़िर (Disbeliever) का अर्थ है: The meaning of the word ‘Kafir’ (Disbeliever).
*‘कुफ़्र’ करने वाला*
कुफ़्र के कई अर्थ हैं, जैसे –
*इन्कार करना, छिपा लेना, हटा देना, दूर कर देना, प्रतिकूल कार्य करना, दबा देना, मिटा देना, अवहेलना करना, छोड़ देना , ना शुक्री करना आदि।*
(किसान के ज़मीन में बीज दबा देने के लिए भी अरबी में ‘कुफ़्र’ शब्द प्रयुक्त होता है)।
पारिभाषिक अर्थ
इस्लाम (और क़ुरआन) की पारिभाषिक शब्दावली में ‘कुफ़्र’ शब्द कई अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। जैसे: इस्लाम
की वास्तविकता समझ लेने के बाद उस पर ईमान लाने के बजाय, इस्लाम का इन्कार कर देना, मन-मस्तिष्क पर ‘सत्य’ स्पष्ट हो जाने के बाद भी उसे छिपा लेना, दबा देना, तिरस्कृत कर देना। यह शब्द स्वयं मुसलमानों के भेस में, कपटाचारियों के उस कृत के लिए भी प्रयुक्त हुआ है जो इस्लाम की कुछ बातों पर अमल करने और कुछ को छोड़ देने, अल्लाह की आंशिक या पूर्ण अवज्ञा (नाफ़रमानी), ऊपर से ईमान लेकिन अन्दर से ईमान के विरोध आदि के रूप में किया जाए।
इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) जो ईश-ग्रंथ क़ुरआन के वाहक हैं, ने स्वयं मुसलमानों के लिए कहा: ‘‘जिसने जान-बूझकर नमाज़ छोड़ दी उसने कुफ्र किया।’’ क़ुरआन की छः आयतों (8:29, 39:35, 48:5, 64:9, 65:5, 66:8) में
अल्लाह ने स्वयं अपने लिए यह शब्द प्रयोग किया है; ‘
“…तो अल्लाह तुम से तुम्हारी बुराइयों, गुनाहों को दूर कर देगा ।’’ एक आयत (2:271) में फ़रमाया, ‘‘…इससे तुम्हारी बुराइयां मिट जाती हैं।’’
उपरोक्त विवरण से यह बात पूर्णतः, निस्सन्देह स्पष्ट हो जाती है कि क़ुरआन में ‘काफ़िर’ शब्द ग़ैर-मुस्लिमों के लिए विशेष होकर उनको अपमानित करने के लिए प्रयुक्त नहीं हुआ है। हिन्दुओं के लिए अपमान या गाली के तौर पर इसके प्रयुक्त न होने की साफ दलील यह है कि क़ुरआन के अवतरण काल (610-632 ई॰) में ‘हिन्दू’ नाम से कोई क़ौम न केवल अरब में, बल्कि भारत में भी पाई ही नहीं जाती थी (यह ‘हिन्दू’ शब्द बाद की शताब्दियों में बना है, इतिहासकारों ने इसकी पुष्टि की है)।
फिर यह ‘काफ़िर’ शब्द क़ुरआन में किस हैसियत में आया है? दरअस्ल यह एक ‘पहचान तय करने वाला शब्द’ है। यह ‘ईमान लाने वाले’ (मोमिन/मुस्लिम) व्यक्ति के विपरीत ‘ईमान (इस्लाम) का इन्कार कर देने वाले’ व्यक्ति के लिए प्रयुक्त हुआ है।
उदाहरणतः ‘ग्रेजुएट’ के विपरीत ‘नान-ग्रेजुएट’ का शब्द,जो निसन्देह पहचान के लिए है, न कि अपमान के लिए
या गाली के तौर पर।
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