The Journey : जिंसी ज़िंदगी का सफ़र और उलझनें : Sexual Life



The Journey : बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम, अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व ब रकातुहू! मेरे प्यारे नौजवान मुसाफ़िरों, जिंदगी एक ऐसा सफ़र (The Journey) है. जिसमें हर रोज़ नित नये वाक़यात (घटनाएं) पेश आते रहते हैं। दूर की बात क्यों करें, आइए अपने जिस्म का हाल देंखे, अभी कल की बात है आप घुटनों के बल रेंगते फिरते थे, लेकिन आज आपमें हिरन की-सी चुस्ती व चालाकी है। कल आपको कई हिस्सों का ख्याल तक न था, मगर आज उन्हें ढांपना ज़रूरी समझते हैं। पहले आपके चेहरे पर कोई बाल न था, मगर आज आपकी मूछें उग आई हैं, दाढ़ी के बाल निकल आए हैं। बग़लों (कांखों) में और नाफ़ के नीचे भी बाल ज़ाहिर होने लगे हैं। यह सब ऐसी तब्दीलियां (परिवर्तन) हैं, जिन्हें आप ख़ुद महसूस कर रहे हैं।

देखिए क़ुदरत ने हमारे जिस्म की मशीन बहुत अजीबो-ग़रीब बनाई है। हम खाना खाते हैं तो जिस्मानी मशीन इसमें से ख़ून बनाने और ज़िंदगी को क़ायम रखने वाले अजज़ा (अंशों) को अपने अंदर जज़्ब (शोषित) कर लेती है और बाक़ी माद्दा (पदार्थ) को पाखा़ने या पेशाब की शक्ल में ख़ारिज (निष्कासित) कर देती हैं। यह तो आप जानते ही हैं कि अगर हमारे जिस्म में ख़ून पैदा न हो तो हम बीमार होकर रह जाएंगे।

जब आप चौदह-पंद्रह साल के हो जाते हैं तो आप की जिस्मानी मशीन ख़ून बनाने लगती है, जिससे आप कुछ अर्से तक नावाक़िफ़ (अपरिचित) रहते हैं। ताहम इसकी वजह से आप अपने अन्दर बेचैनी और जोश महसूस करते हैं। यह मौक़ा बड़ा नाज़ुक होता है। आप इससे पैदा होने वाली कैफियत (स्थिति) के मुताल्लिक़ किसी से कुछ भी नहीं कह सकते और बगै़र कहे रह भी नहीं सकते। इस वक़्त आपके बुरे दोस्त और इशरत खां आपको बेचैन देखकर कहते हैं—

“देखो, वह लड़की कितनी ख़ूबसूरत है, वह लड़का कितना अच्छा लगता है।”

आप इनकी बातें सुनकर कुछ ऐसे मुतास्सिर (प्रभावित) होते हैं कि ख़्वामख़्वाह लड़कों और लड़कियों को घूरने लगते हैं और आपके पास रहें, क्योंकि आप इन्हें पसंद करने लगते हैं। इनका इंतिज़ार करने पर मजबूर हो जाते हैं। इनको देखने के लिए बेचैन रहते हैं और इनसे मिलने, इनसे बातें करने और इनको छूने बल्कि आगोश में लेने के लिए हर वक़्त बेताब रहने लगते हैं। इसलिए उनसे ताल्लुक़ पैदा करने और दोस्ती करने के लिए आप कई ग़लत काम और ख़राब हरकतें करते रहते हैं। कभी इनको ख़त लिखना शुरू कर देते हैं। कभी आहे भरते हैं तो कभी इशारों से काम लेते हैं। दिन उनकी याद में गुज़रता है और रातें उनकी ख़्वाबों से कटने लगती हैं। जब आप इस बेचैनी का शिकार हो जाते हैं तो आपके नेक दोस्त और ज़मीर आपकी रहनुमाई के लिए आगे बढ़कर कहते हैं—

“देखो प्यारे, यह काम छोड़ दो, वरना बदनामी होगी, सेहत ख़राब हो जाएगी अल्लाह नाराज़ हो जाएगा, वालिदैन की तरफ़ से सज़ा मिलेगी। याद रखिए, इस क़िस्म की हरकतें तो बड़े रज़ील (नालायक़) और गंदे लड़के करते हैं। तुम तो शरीफ़ हो और शरीफ़ खानदान से ताल्लुक रखते हो और तुम्हें तो दुनिया में बहुत-से नुमायां काम करने हैं। अगर तुमने यह हरकतें तर्क (छोड़ना) न की तो बीमार हो जाओगे, ख़तरनाक बीमारियां तुम्हें घेर लेंगी और तुम्हारे वालिदैन की नाक कट जाएगी।”

यह सुनकर आपका दिल धड़कने लगता है और आप खौफ़-सा महसूस करते हैं। यह बड़ा ही नाज़ुक मौक़ा है क्योंकि आपके बुरे दोस्त आपको हर वक़्त बुरी बातें ही बताते रहेंगे और चूंकि आपके अन्दर इससे पहले ऐसी ख़्वाहिश कभी नहीं पैदा हुई थी। इसलिए आप बेहद परेशान होंगे कि अब क्या करूं क्या लड़कों और लड़कियों की तरफ़ ललचाई हुइ नज़रों से देखना बंद कर दूं या आगे बढ़कर उन्हें हासिल करने की कोशिश करूं— आख़िर आपके अन्दर कौन-सी नई चीज़ पैदा हो गई है जिसने आपको परेशान कर रखा है और इशरत खां आपको उनकी तरफ़ देखने और उनके जिस्म से लुत्फ़ उठाने की दावत (निमंत्रण) दे रहा है।

मेरे मासूम दोस्तों, कुछ अर्से पेशतर (पूर्व) आपका ध्यान खेल-तमाशे और खाने-पीने की तरफ़ होता था और लड़कियों की तरफ़ देखने की ख्वाहिश का आपको अहसास भी न था, लेकिन अब हालात यह हो गए हैं कि खेल-कूद की तरफ़ रग़बत करने या खाने पीने से लज़्ज़त उठाने की बजाए आप लड़कों और लड़कियों के ख़्याल में मगन रहते हैं।

यही वह ख़्वाहिश है, जिसे जवानी कहते हैं। इसको शहवत (कामुकता) के नाम से पुकारते हैं, यही जिंसी जज़्बा कहलाता है और इसी के मुताल्लिक़ मुफ़ीद मालूमात (जानकारियां) आप तक पहंचाने के लिए हम ये लिख रहे हैं, ताकि आप नावाक़्फियत में नुक़सान न उठाएं।

आमतौर पर हमारी सोसाइटी में बलूग़त के मसाइल पर गुफ़्तगू (चर्चा) करना और इस सिलसिले में नौजवानों की रहनुमाई करना मायूब (दोषयुक्त) समझा जाता है। हालांकि नौजवानों को इस मौक़े पर रहनुमाई की अशद (अत्यधिक) ज़रूरत होती है, ताकि उनकी ज़िंदगी बर्बाद न हो। मगर इस अहमतरीन (मुख्य) मसले की तरफ़ से आंखें बंद करके हम अपने नौजवानों को बर्बाद होने की खुली छूट दे देते हैं, जिसका ख़ामियाज़ा (हानि) पूरी क़ौम भुगत रही है।

नौजवानी, शहवत या जिंसी जज़्बे की बदौलत हमारे जिस्म में ख़ून के अलावा एक नई चीज़ पैदा होने लगती है, जो ख़ून और पेशाब दोनों से बिल्कुल मुख़्तलिफ़ (भिन्न) है इसे मनी (वीर्य) कहते हैं। यह सफ़ेद रंग का एक लेसदार माद्दा (पदार्थ) होता है, जो पेशाब की राह से निकलता है और जिसके निकलने से अजीब सी लज्ज़त महसूस होती है। यह ख़ून का जोहर है। यह गाढ़ी सफ़ेदी मायल (युक्त) चमकदार और बदबूदार रुतूबत (स्त्राव) होती है और आहिस्ता-आहिस्ता ख़स्यों (वृषण) में बनती रहती है। यह ख़ून से अपने लिए ज़रूरी अजज़ा हासिल करके माद्दा मनविया (वीर्य युक्त पदार्थ) पैदा करती हैं। इस रुतूबत के अन्दर ख़ास क़िस्म के ज़रासीम (जीवाणु) पाए जाते हैं, जिन्हें हवनियाते मनविया कहते हैं यही ज़रासीम, बच्चे की पैदाईश का बाइस (कारण) होते हैं। एक ख़ास दर्जा हरारत, क़वाम और मिक़दार (मात्रा) में उनकी जिंदगी बरक़रार (स्थिरता) रहती है। अगर उनको सही माहौल मयस्सर (प्राप्त न हो) न आए तो नीमजान (अर्धमृत) बे हसो-हरकत (निष्क्रिय) होकर ख़त्म हो जाते हैं।

मनी की सही पैदाईश और माक़ूल (यथोचित) मिक़दार व क़वाम से हमारे जिस्म में तरो-ताज़गी, रौनक, तवानाई (शक्ति), चुस्ती, बसारत (दृष्टि) में तेज़ी, दिमाग़ में क़ुव्वत, दिल में उमंग और सुरूर (आनंद) और सीने में जज़्बा और वलवला पैदा होता है और इसके ग़लत इस्तेमाल से चेहरा बे-रौनक, आंखें बे-नूर (प्रकाशहीन) और तमाम आज़ा (अंग) बेकार और ख़स्ता (रोगग्रस्त) हो जाते हैं। लिहाज़ा इसकी हिफ़ाज़त और इस्तेमाल में ज़रूरी ऐतेदाल (मध्यता) और अहतियात (सावधानी) की ज़रूरत है दरअसल मनी निहायत क़ीमती चीज़ है, जिसके बगै़र आपके अन्दर बहादुर अक़्लमंदी, जोशो-ख़रोश और नई-नई आरजुएं पैदा नहीं हो सकतीं। सिर्फ इन मनी की वजह से आपके अंदर ताक़त, फुर्ती, दिलेरी, मर्दानगी, रोशन दिमाग़, ईमानदारी और हर मुश्किल व मुक़ाबला की जुराअत पैदा होती है। इसके बगै़र इंसान निकम्मा होता है। वह दुनिया में भी इज़्ज़त और मर्तबा (श्रेणी) हासिल नहीं कर सकता। यह वजह है कि ज़मीर अहमद आपको इसकी हिफ़ाज़त करने के लिए बार-बार ताकी़द करता रहता है मगर इशरत खां ऐसा ज़ालिम है कि आपको हर वक़्त यही कहेगा कि इस शै (वस्तु) को बाहर निकालो और इसका लुत्फ़ उठाओ।

लेकिन मेरे दोस्तो- ज़रा सोचो तो सही, जिस चीज़ का ज़ाया कर लेने में इस क़द्र मज़ा है, उसको संभाल कर रखने में कितना लुत्फ़ आता होगा? इसका पता तो आपको उस वक़्त पड़ेगा जब आप उम्र में ज़रा बड़े हो जाएंगे और आपकी शादी हो जाएगी।

मेरे भोले-भाले दोस्तो, जो दोस्त आपको मनी निकालने की सलाह दे, वह आपका दुश्मन है। अगर आपको अपनी जिंदगी से प्यार और दुनिया में तरक़्क़ी करना चाहते हैं तो ऐसे दोस्तों की बात हरगिज़ न मानना, बल्कि उनसे किनारा-कशी इख्तियार करना और इस क़ीमती ख़ज़ाने को संभाल कर रखना, ताकि जिंदगी भर इससे फ़ायदा उठा सको, वरना आपका हाल उस मुसाफ़िर (यात्री) जैसा होगा, जो अपने घर से एक लंबे सफ़र पर रवाना हुआ, मगर पहली ही मंज़िल में अपनी सारी पूंजी लुटा बैठा या अपनी जेब कटवा ली और बेयारो-मददगार (असहाय) खड़ा दूसरे मुसाफ़िरों का मुंह देखता रहे।

क्रमशः अगली पोस्ट में…

इंशा अल्लाह, ये पोस्ट आपकी ज़िंदगी की तमाम उलझनों को दूर कर देगी, इसे आप पूरा ज़रुर पढ़िए,

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