Corona Virus : बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम : अस्सलामु अलैकुम व रह मतुल्लाहि व ब रकातुहू! आज हम कोरोना काल में अपनी ईद कैसे मनाएं…? ये सवाल आज हर एक मुसलमान के ज़ेहन में आ रहा है और ख़ास तौर से हमारी माँ बहिनें, बहु और बेटियाँ तो बस, उनका क्या कहना, वो तो यही चाहती हैं कि किसी भी तरह से हमारी ईद अच्छी तरह से हो जाए। और वो आखि़र ऐसा क्यों नहीं चाहें, ज़रूर चाहेंगीं, क्योंकि सालों से यही होता आ रहा है बल्कि सदियाँ गुज़र गयीं हैं सभी लोग बहुत अच्छी तरह से ईद मनाते चले आ रहे हैं। बल्कि ये कहना ग़लत नहीं होगा कि रमज़ान के शुरू होने से पहले ही ईद की तैयारियां शुरू हो जाती थीें, हमारी माँ-बहिनें बड़े जोशो ख़रोश से तैयारी करने में जुट जाया करतीं थीं और ये तैयारियां रमज़ान के आखि़री दिन बल्कि कुछ लोग तो ईद के चांद रात वाले दिन तक करते रहते थे। और चांद रात वाले दिन के क्या कहने, दुकानदार तो यही सोचा करते थे कि जितनी हम सालभर मेहनत करके कमाते हैं उतना एक ही दिन में कमा लेंगे। और यही सिलसिला सालों से चला आ रहा है। नौजवानों का तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहता कि नये नये कपड़े और भी ज़रूरत का सामान सब कुछ नया ही नया, और वो हमारे मासूम बच्चे, अम्मी अब्बू ईद कब आयेगी ईद कब आयेगी, बार बार पूछते हैं इंतिज़ार करते रहते हैं। और फिर आखि़रकार वो ईद का दिन भी आ ही जाता है, सुबह से ही घरों में सिवइयां बनना शुरू हो जाती हैं, कि जल्दी से सिवइंया खाने को मिल जाए और ईद की नमाज़ के लिए ईदगाह में जायें फिर वापस आकर सिवइंया खाऐं, बेटा अम्मी से, भाई बहिन से, पति शौहर से और बच्चे अपने अम्मी और अब्बू से जल्दी से सिवइंया निकालो बहुत भूख लगी है आज ख़ुशी का दिन है ईद का दिन है जी भरके सिवइंया खाऊँगा। और अपने क़रीबी रिश्तेदारों को भी बुला बुला कर खिलाते हैं, आपस की नाराज़गियां दूर हो जाती हैं, आपस के लड़ाई झगड़े ख़त्म करके एक दूसरे के गले मिलते हैं और एक दूसरे के घरों में जा जाकर ईद की खु़शियां बाँटते हैं।
अचानक इन सभी बातों पर ब्रेक लग जाता है, हमारी ख़ुशियों पर Corona Virus की मोहर लग जाती है, और सब कुछ बंद हो जाता है। देश बंद, बाज़ार बंद, स्कूल कालेज बंद, धार्मिक स्थल बंद, मस्जिदें बंद, और मुंह बंद। पूरे देश में क़ब्रिस्तान जैसा सन्नाटा झा जाता है। यहां तक कि परिंदों की आवाज़े भी कानों में आना बंद हो जाती हैं। सिवाए चहार दीवारी के और कुछ भी नज़र नहीं आता है। हर जगह बस एक ही चीज़ नज़र आती है और वो है – डर, डर, डर। डर का माहौल पैदा हो जाता है। जहां लोग अपने चहेतों को गले लगाया करते थे, कोरोना वारस (Corona Virus) के डर की वजह से एक दूसरे से दूरियां इख़्तियार करने लगते हैं, Corona Virus के चलते उनके हाथ का सामान लेना तो बहुत दूर की बात उनसे मिलना तक गवारा नहीं करते। Corona Virus के कारण बहू अपने मायके जाने से घवराती है और उनको अपने घर पर बुलाने से घबराती है। अगर मुहब्बत में कोई मिलने भी आ जाये तो बस सिर पर पहाड़ गिरने की मानिंद है, बस ऐसा मानो कि कोरोना वायरस (Corona Virus) हमारे घर ख़ुद चल कर आ गया। फिर उसके चले जाने के बाद उस जगह को भी साफ़ किया जाता है जहां वो बैठा था और कैमिकल झिड़का जाता है। ये सब कुछ अचानक से शुरू हो जाता है Corona Virus Covid 19 की महामारी के आने के कारण।
आज सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक़ हम़ लोग अपनी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं, और सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक़ हम मुसलमान अपनी मस्जिदों में एक वक़्त में पाँच लोग ही नमाज़ अदा कर रहे हैं। क्यों कि कोरोना से बचाव के लिए हमें सरकारी गाइडलाइन का भी पालन करना ज़रूरी है। जो लोग सरकारी गाइडलाइन का पालन नहीं करते हैं तो उन पर सरकार की तरफ से सख़्त कार्यवाही की जाती है। ये थी कोरोना की पहली लहर। इस लहर के जाते है लोगों के चहरों पर ख़ुशी आ जाती है और एक बार फिर से लोग अपनी साधारण सी ज़िंदगी गुज़ारने लग जाते हैं। लेकिन Corona Virus (Covis-19) का डर अभी ख़त्म नहीं होता है। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक़ देशभर में काम काज शुरू हो जाता है। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक़ बाज़ार, स्कूल कालेज, धार्मिक स्थल आदि खुलना शुरू हो जाते हैं। और लोग चैन व सुकून की सांस लेते हैं, अल्लाह का शुक्र है कि हमारी ज़िंदगी फिर से बहाल हो गयी है।
अभी कुछ ही महीने बीते कि कोरोना वारस कोविड-19 (Corona Virus) की दूसरी लहर आ गयी है रमज़ान के क़रीब जो दुनिया के लिए और भी ख़तरनाक साबित हो रही है जो देश के नौजवानों को अपनी चपेट में ले रही है। फिर से सब कुछ बंद, जैसा कि पहले हुआ था। लोग फिर से अपने घरों में बंद हो गये। फिर से सरकारी गाइडलान का पालन शुरू हो गया और फिर से ईद आने के पहले कोरोना का जाल फ़ैल गया है और फिर से नमाज़ों पर पाबंदी लगना शुरू हो गयी है।
Corona Virus (Covid-19) के काले बादल छाते ही फिर वही सवाल खड़े हो रहें हैं कि क्या फिर से हमारी ईद ख़राब हो जायेगी, और हम मुसलमान फिर से ईदगाह नहीं जा सकेंगे, अच्छे अच्छे कपड़े नहीं पहन सकेंगे, और एक दूसरे से ईद की ख़ुशियां नहीं बाँट सकेंगे…?
चुनांचे आज हम इसी अहम मुद्दे की तरफ आपकी तवज्जो दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसे आप लोग पूरा ज़रूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़कर सुनाऐं, आगे शेयर भी करें ताकि हर मुस्लिम मर्द व औरत इस परेशानी से बच सकें।
यक़ीनन माहे रमज़ान के रोज़े रखने के बाद, ईद की खुशी मनाना हर मुसलमान का हक़ है, नये नये कपड़े और दीगर ज़रूरी सामान खरीदना भी इस खुशी में शामिल है। लेकिन Corona Virus (Covid-19) के चलते आज हम मुसलमान ईद कैसे मनाऐं, यह एक अहम सवाल है।
सबसे पहली बात – ईद की ख़ुशी किसके लिए है और क्या हम सिर्फ ईद की ख़ुशी मनाने के लिए माहे रमाज़ान के 30 रोज़े रखते हैं?
हां, इस बात में कोई शक नहीं कि ईद की ख़ुशी मुसलमानों के लिए है परन्तु ईद की ख़ुशी उन मुसलमानों के लिए है जो अल्लाह को राज़ी करने के लिए और अपनी मग़फिरत के लिए माहे रमज़ान के रोज़े रखते हैं।
दूसरी बात – क्या ईद की ख़ुशी नये कपड़े ख़रीदकर ही मनायी जाये?
ये ज़रूरी नहीं है कि नए कपड़े ख़रीदें तभी ईद की ख़ुशी मनायी जाये, ईद की ख़ुशी ईद की दो रकअत नमाज़ अदा कर के मनायी जाये, यही ज़रूरी है। हां, अगर नये कपड़े बा आसानी मिल जायें जिससे हमारी मुसलमान औरतों को कोई परेशानी नहीं उठाना पड़े और उनकी इज़्ज़त व आबरू पर कोई आंच ना आने पाये तो अच्छी बात है बस वो इन बातों को ख़ास ख़्याल रखें क्यों कि इन हालात में अराजक तत्व हमारी मुसलमान औरतों पर हमला कर सकते हैं।
अपना बचाव ख़ुद करें और अपने घर वालों को भी बचाऐं, अपने घर पर रहें और सुरक्षित व सतर्क रहें।
मैं मुसलमान मर्दों से गुज़ारिश करता हूँ कि-
- अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने मर्दों को औरतों पर हाकिम बनाया है। कि वो, अपनी औरतों को काबू में रखे और बंद बाज़ारों में न जाने दें। मेहरबानी करके खुद भी बाज़ारों में न जाये और दूसरों को भी जाने से रोकें।
- इस वक़्त कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते हम सभी देशवासियों की जान ख़तरे में है। बीमारी का इलाज आम आदमी की पहुंच से बाहर है। ऐसे हालात में बहुत एहतियात रखना होगा और सावधानी बरतनी होगी। कोविड-19 के चलते आमदनी में कमी आई है और यह हालात कब नॉर्मल होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। चंद दिनों के बाद ईदुल फ़ित्र आने वाली है और फिर उसके दो माह बाद ईदुल अज़्हा भी आने वाली है इसलिये मुसलमानों को ग़ैर-ज़रूरी खरीदारी करने से बचना चाहिये। यह बात हमारी औरतों को भी समझाने की ज़रूरत है।
- औरतों को यह बात समझाएं कि जब हालात पूरी तरह नॉर्मल हो जाएं, जब दुकानें बिना किसी सरकारी पाबंदी खुलने लगें, तब ही ख़रीदारी करने जाएं।
- इस वक़्त लोग अपनी दुकानों का सटर बंद करके सामान बेच रहे हैं और मुसलमान औरतें बंद दुकानों में जाकर सामान ख़रीद कर ईद की तैयारी कर रहीं हैं अगर उनकी इज़्ज़त से खिलवाड़ हुआ तो इसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी। आज हर शख़्स के पास कैमरे वाला मोबाइल है, अराजक तत्व उसका वीडियो बनाकर वायरल कर सकते हैं जिससे हमारी मुसलमान महिलाओं की बड़ी बदनामी हो सकती है। ज़रा सोचिये! अल्लाह के वास्ते सोचिये और ग़ौर करिये!! अपने घरों की औरतों को समझाइये, कि वो इस तरह से ख़रीददारी से परहेज़ करें।
- अब बात करते हैं रोज़े के बारे में। रोज़ा हमें अपने ऩस पर काबू करना सिखाता है। इसलिये हमें अपने ऩस पर काबू करना चाहिए। अपनी इज़्ज़त को ख़तरे में डालकर, किसी शटरबंद दुकान से कपड़े ख़रीदने से बेहतर यह है कि घर में मौजूद कपड़ों को पहनकर ईद मनाएं। अल्लाह तआला तमाम मुस्लिम औरतों को यह बात समझने और अमल करने की तौफीक अता फरमाए, आमीन!
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