Bitter Truth : दुनिया मोमिन के लिए कै़दखाना : Prison for the believers


Bitter Truth कड़वा सच : अस्सलामु अलैकुम व रह मतुल्लाहि व ब रकातुहू! मेरे प्यारे दोस्तों, पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा था नौजवानों की आरज़ुओं के धुंधले अक्स Aspirations of the Youth तो वो था आपकी आरजु़ओं का एक धुंधला-सा अक्स (प्रतिबिंब) लेकिन मैं आपको एक कड़वे सच (Bitter Truth) से अवगत कराना चाहता हूँ जो वास्तव में हक़ीक़त है और बहुत ही तल्ख़ हक़ीक़त Bitter Truth है, और वह यह है कि Dream World यानी ख़्वाबों की इस दुनिया के बहुत क़रीब वह जीती-जागती और महसूस होने वाली दुनिया भी मौजूद है, जिसे कुछ लोग दुखों का घर (House of Sorrows), दारुल अमल (Work House), आख़िरत (भविष्य) की खेती (The Harvest of the Hereafter), मोमिन के लिए कै़दखाना (Perison for the Believers) और ऐसे ही कई दूसरे नामों से पुकारते हैं। और यही इस संसार का कड़वा सच (Bitter Truth) है। अगर हम दुनिया के कड़वे सच Bitter Truth की बात करें तो इते कोई भी रद्द नहीं कर सकता है कि मनुष्य का जीवन दुख दर्द व परेशानियों से घिरा हुआ है, इंसान चाहे जितना अमीर दौलतमन्द और इज़्ज़तदार हो वो भी अपनी ज़िन्दगी में संघर्ष करता रहता है और इस कड़वे सच Bitter Truth का इंकार नहीं कर सकता। परन्तु इंसान जीवन की चकाचौंध में घिरकर उस कड़वे सच Bitter Truth को नज़र अंदाज़ किए हुए है।


और ऐसा कहने वाले वह उग्ररसीदा (वृद्ध) और तजुर्बेकार (अनुभवी) लोग होते हैं, जो अपनी भरपूर जवानी में आप ही की तरह दुनिया में सिर्फ़ रंगीनियां ही ढूंढते रहे और जब जवानी गुज़र गई तो हसरत (पश्चाताप) से पुकार उठे

“जो कुछ कि देखा ख्वाब था, जो सुना अफ़साना (कहानी था।”

याद रखिए, यह दुनिया फ़र्जी जन्नत नहीं है। इसमें दुख और सुख इस तरह मिले हुए हैं जिस तरह हमारी रूह (आत्मा) और हमारा बदन आपस में जुड़े हैं। इस दुनिया की थोड़ी-सी ज़िंदगी में आपको बहुत कुछ करना है और साथ ही यह शक्ल (स्थिति) भी दरपेश (सामने) है कि सब कुछ आपकी मर्ज़ी (स्वेच्छा) के मुताबिक़ नहीं हो सकता, क्योंकि जिस मुल्क, समाज और ख़ानदान में आप रहते हैं, उसकी तरफ़ से आप पर कुछ पाबंदियाँ भी लागू होती हैं, जिनको तोड़ना आपके लिए अत्यधिक ख़तरनाक हो सकता है।

आपने देखा होगा कि जो मनुष्य ट्रैफिक के नियमों का विरोध करता है वह किसी वक़्त बस या ट्रक के नीचे कुचल जाता है। इसी तरह जो आदमी मुल्क व मिल्लत (दीन) की तरफ़ से लागू पाबंदियों का विरोध करता है वह दुनिया में भी तुच्छ होता है और आख़िरत में भी दुष्ट बन जाता है।

आपकी खुदसरी (प्रतीपता), सरकशी और बग़ावत (विद्रोह) का असर न सिर्फ आपकी ज़ात (संतति) तक महमूद (सीमित) रहता है, बल्कि इसका असर आपके ख़ानदान और मुल्क पर भी पड़ता है। इसलिए कोई भी आपको स्वतंत्र ऊंट की तरह छोड़ने के लिए तैयार नहीं हो सकता। आपकी तमाम आरजुएं सिर्फ उसी सूरत में पूरी हो सकती हैं. जबकि आपके पास वक़्त और पैसा हो और विस्तत इख़्तियारात (अधिकार) हों। मगर ज़ाहिर है यह सब चीज़ आपकी पहुँच से बाहर हैं। वक़्त किसी के रोकने से नहीं रुका। पैसा बगै़र मेहनत से हासिल नहीं हो सकता और इख़्तियारात रखते हुए भी इन्सान अपनी हर ख़्वाहिश पूरी नहीं कर सकता।

मेरे नौजवान दोस्तो, आप इस वक़्त ज़िंदगी के पुरफ़रेब (कपटयुक्त) वादी (घाटी) के सामने खड़े हैं। यह उमर का वह हसीन (प्यारा) हिस्सा है, जिसकी याद मरते दम तक नहीं भूलते। आपके सामने रंगा-रंग की दिलचस्पियां हैं। मगर इस वादी में दूर-दूर तक पगडंडियां भी दिखाई देती हैं और हर पगडंडी पर कई-कई मोड़, जिन्हें आप ताज्जुब से देख रहे हैं। इस वक़्त आपको दोस्तों की अशद (अत्यधिक) ज़रूरत है, ताकि वह हर मंज़िल और हर मोड़ पर आपका साथ दे सकें। हर परेशानी में दिलजोई कर सकें। हर उलझन में आप उनसे रहनुमाई (दिशा-निर्देश) हासिल कर सकें। आपको खुश देखकर वह भी खुशी के नारे लगाएं और ग़म के लम्हात में आगे बढ़कर आपको सहारा दे सकें। लेकिन मुश्किल यह है कि आपको ऐसे दोस्त कम ही मिलेंगे, जो हक़ीक़ी (वास्तविक) मायनों में दोस्त कहलाने के योग्य हों। इसकी वजह यह है कि इस दुनिया में मतलबपरस्त (स्वार्थी) और बेवफ़ा लोग दोस्तों का रूप धारण कर लेते हैं। दरअसल ऐसे ही दोस्तों के बहरूप में शैतान वार करता है। यही दोस्त गुमराह (दुराचारी) करते हैं, क्योंकि ऐसे नामनिहाद (मुट्ठीभर) दोस्त आपको दुनियावी ऐशो-इशरत का लालच देकर कपट का जाल फैलाते हैं और आप जैसे मासूम नौजवानों को फांस लेते हैं। अगर खुदा-न-ख्वास्ता (ईश्वर न करे ऐसा हो) आप ऐसे दगाबाज़ों (पाखंडियों) के जाल में एक बार फंस गए, ख्वाह (चाहे) नादानी से ही क्यो न फंस जाएं तो फिर आपको गुमराही, बीमारी, ज़िल्लत (नीचता), परेशानी, मुफ़लिसी (दरिद्रता), नाकामी (असफलता) और बर्बादी की गहराइयों में छोड़कर इस तरह आंखें फेर लेंगे। गोया आपसे कभी परिचय ही न था या आप कभी उनके दोस्त ही न थे, फिर वह भूलकर भी आपकी तरफ़ मुतवज्जह (ध्यान) न होंगे, बल्कि किसी दूसरे शिकार की तलाश में चल खड़े होंगे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.