Sunehri Kirnen Story 27 : किनाया (इशारों) से हक़ीक़त की पहचान

Sunehri Kirnen Story 27 : (बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम) : किनाया (इशारों) से हक़ीक़त की पहचान एक देहाती बद्दू और एक नौजवान लड़की की किनाया (इशारों) की बात चीत का दिलकश क़िस्सा जो वास्तव में बहुत ही बेहतरीन बात चीत का एक अनोखा अंदाज़ है। इसको पढ़ें और सुनें।

एक ऐराबी (देहाती, बद्दू) का गुज़र किसी सेहरा व बियाबान से हो रहा था। उसे शिद्दत की प्यास लगी तो पानी की तलाश में आगे बढ़ता चला गया, मगर दूर-दूर तक पानी के कोई आसार न थे। इधर प्यास की शिद्दत से वह बिल्कुल निढाल हो चुका था, तलाशे बस्यार के बाद वो एक कुऐं के पास पहँचा जिसके क़रीब ही एक नौजवान ऐराबिया (देहाती औरत) मौजूद थी। कुआं देखकर ऐराबी की जान में जान आयी, उसने ऐराबिया से कहाः

‘‘तुम्हारे पास जो कुछ बा आसानी दस्तियाब है वही हम चाहते हैं, और जो तुम्हारे लिए मुश्किल है वो हम तलब नहीं करेंगे।’’

ये सुनकर नौजवान लड़की ने ऐराबी को पानी पिलाया। जब वो पानी पी कर सैराब हो चुका तो ऐराबिया कहने लगीः अगर तुम्हारा नाम मालूम हो जाता तो मैं ख़ुश आमदीद कहती। ऐराबी ने जवाब दिया ‘‘मेरा नाम तुम्हारे चेहरे में है’’।

ऐराबिया कहने लगी:

‘‘तुम्हारा आना मुकारक हो ऐ हसन।’’

उसने अपने हुस्न की (रिआयत) मुनासिबत से ऐराबी का नाम हसन भाँप लिया।

ऐराबी ने कहाः ‘‘अगर मुझे तेरा नाम मालूम हो जाता तो मैं तेरा शुक्रिया करता।’’

ऐराबिया ने जवाब दियाः 

‘‘मेरा नाम तुम्हारे पहलू में है।’’ 

ऐराबी अपने पहलू में तलवार लटकाए हुए था, उसने फौरन ऐराबिया का नाम भाँप लिया और कहने लगाः 

‘‘ऐ हन्द बहुत बहुत शुक्रिया।’’

तलवार के बहुत सारे नामों में से एक नाम ‘मुहन्नद’’ भी है जो उसके पहलू में लटकी हुयी थी। हिन्दुस्तानी लौहे तैयार होने की वजह से अरबी में उसे ‘मुहन्नद’’ कहा गया। इसी से बद्दू ने ऐराबिया का नाम मालूम कर लिया।

इस वाक़िये से ये मालूम होता है कि अरब के देहात में रहने वाले मर्द और औरतें कि क़दर ज़हीन और अरबी ज़ुबान से वाक़्फीयत रखने वाले होते हैं।

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