Business : बेरोज़गारों और उलमा के लिए आसान कारोबार : Unemployed



Business: बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम: इस लेख में ऐसे कारोबार Business का ज़िक्र किया जा रहा है जो मुख़्तसर इंवेस्टमेण्ट (कम ख़र्च) से Business शुरू किये जा सकते हैं और अपने फारिग़े अवक़ात (फ्री समय) को कार आमद बना कर तदरीस, इमामत के साथ-साथ बेहतरीन आमदनी हासिल की जा सकती है। ये कारोबार Business सिर्फ उलमा-ए-किराम के लिए ही नहीं हैं बल्कि हर उस बेरोज़गार नौजवान Unemployed के लिए हैं जो अभी तक कुछ न करने की वजह से परेशान हाल ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। अगर इनके अन्दर थोड़ी सी भी सलाहियत है, तो इंशा अल्लाह! ये कारोबार Business उनके लिए बड़े कारगर साबित होंगे, और इन आसान कारोबार Easy Business के ज़रिए अपनी परेशान हाल ज़िन्दगी से निकल कर ख़ुश हाल ज़िन्दगी गुज़ार सकते हैं। Now let’s start Easy Business.

बेरोज़गार लोगोंऔर उलमा-ए-किराम के लिए आसान कारोबार



इससे पहले एक बात याद रखें, मशवरे हर कोई देता है मगर अमली तौर पर मैदान में आने वाले बहुत कम लोग होते हैं, अपने हालात के ज़िम्मेदार इंसान ख़ुद होता है, मगर मुआशी (कारोबारी) परेशानी हो या घर में कोई तकलीफ उसके लिए ख़ुद ही भाग दौड़ करनी पड़ती है, कोई परेशानी आ जाये तो ताज़ियत (मातम) करने वाले बहुत होते हैं मगर तआवुन (मदद) करने वाला कोई नहीं होता।  

लिहाज़ा उलमा-ए-किराम, अइम्मा-ए-मसाजिद (इमामों) से गुज़ारिश है कि अपनी सलाहियतों का इस्तेमाल करें, किसी की इक़तिदा (किसी के पीछे पड़ने) और किसी की तरफ देखने के बजाऐ अपने आप पर फोकस करें, अपने हालात को देख कर फैसला करें।   लोग क्या कहेंगे, आस-पास वाले क्या सोचेंगे, फुलां काम मेरे शाने शान नहीं, दस बारह साल लगाकर तिजारत ही करनी थी तो वक़्त क्यों ज़ाया (बर्बाद) किया, फुलां काम उलमा को ज़ेब (शोभा) नहीं देता, ये सब बातें बिल्कुल फिज़ूल लायानी और बेकार हैं।  

इज़्ज़त, एहतिराम और क़दर अपनी जगह मगर ये सब लवाज़मात (चीज़ें) इंसान की अमली ज़िन्दगी में किसी सूरत कारगर (फायदेमंद) नहीं होती।  

हक़ तो ये था कि दीनी मदारिस और इदारे तालीमात (शिक्षा) के साथ-साथ हुनर भी सिखाते, तालीमी सरगर्मियों के साथ-साथ स्किल्ज़ और हुनरमंदी के लिए भी बहस और वक़्त मुख़्तस (ख़ास) किया जाता मगर अफसोस…  

इस लिए उलमा-ए-किराम, अइम्मा-ए-मसाजिद, मुदर्रिसीन हज़रात अपने हालात पर रोने-धोने, मुआशी इस्तेहसाल (माली कमी) पर ख़ामोश होकर बर्दाश्त करने के बजाऐ अमली ज़िन्दगी में आयें, ज़माने का मुक़ाबला करें और अपनी सलाहियतें और वक़्त लगाकर अपने हालात को ख़ुद ही दुरूस्त करें।  

उलमा-ए-किराम को कमी किस बात की है, तीस (30) पारे कलाम अल्लाह (क़ुरआन मजीद) के हिफ्ज़ कर सकते हैं, इल्मी तक़ारीर और तहारीर और किताबों में क़ाबिले तरीन होने के बावजूद किस बात की कमी है, कौन सी चीज़ हालात को बदलने में रूकावट है???  

मौजूदा डिज़िटल दौर में अगर उलमा-ए-किराम मेहनत करें इस फील्ड में अपने आपको खपाऐं तो मैं दावे से कहता हूँ आम लोगों की बनिस्बत आप ज़्यादा फायदा और तरक़्क़ी हासिल कर सकते हैं।  

उलमा-ए-किराम, क़ुर्रा हज़रात, दीनी मदारिस के मुदर्रिसीन, इमामत, खि़ताबत और तदरीस के साथ-साथ ऐसे कौन-कौन से आसान और सस्ते कारोबार कर सकते हैं जिनसे उनकी आमदनी में ख़ातिर ख़्वाह इज़ाफा हो सके और अपनी दिगर गों (बुरी) हालात को तब्दील कर सकें-  

कम्प्यूटर और इंटरनेट के ज़रिए किये जाने वाले चन्द कारोबार Business की सूचीः-  

1. सैकेण्ड हैंड मोबाइल की ख़रीद व फरोख़्त करें। दिन का एक दो सैकेण्ड हैंड स्मार्ड फोन ख़रीद व फरोख़्त कर दें तो हज़ार पद्रह सौ दिन के कमा सकते हैं।

2. कम्पोज़िंग सीखें, मुख़्तलिफ मकतबों की किताबें, रसाइल वग़ैरा कम्पोज़ कर दें। 

3. ग्राफिक्स डिज़ाइनिंग सीखें, इससे फ्री लान्सिंग या मुख़्तलिफ इस्लामी पेजेज़ की पोस्ट, इदारों के इश्तिहारात वग़ैरा डिज़ाइन करें।

4. वेब डिज़ाइनिंग सीखें, दीनी इदारों को और दूसरे आम क्लाइंट को वेब साइट डिज़ाइन करके दें।

5. ऐप डिज़ाइनिंग सीखें, एप्लीकेशन, गेम्ज़ बनाऐं, क्लाइंट को बैंचें या प्ले स्टोर पर लगाऐं।

6. आन लाइन पढ़ाऐं।

7. आन लाइन क़ुरआन टीचिंग और दूसरे इस्लामिक सब्जेक्ट पढ़ाऐं।

8. डिज़िटल मार्केटिंग सीखें, आसानी के साथ आन लाइन काम करें।

9. आन लाइन बिज़नेस करें, आपके पास कोई प्रोडक्ट है उसका आन लाइन बिज़नेस करें।

10. एफिलिएट मार्केटिंग करें, किसी कम्पनी के प्रोडक्स या किसी दोस्त की चीज़ें मुनाफा रखकर आन लाइन बैचें और अपने हिस्से का कमीशन हासिल करें।

11. कम्प्यूटर से मुतालिक़ कोई स्किल सीख कर आप फारिग़े अवक़ात (फ्री समय) में इदारे, मदरसे, घर में बैठकर अच्छी ख़ासी इज़ाफी (अतिरिक्त) आमदनी कर सकते हैं।       

ऊपर दिये गये सब काम कम्प्यूटर और इंटरनेट से मुन्सलिक (सम्बन्धित) हैं, फारिग़े अवक़ात (फ्री समय) को क़ीमती बनाकर मोबाइल और कम्प्यूटर इस्तेमाल करते हुए आराम व सुकून से बैठे बिठाऐ अच्छी ख़ासी आमदनी (कमाई) हासिल की जा सकती है।       

इसके अलावा अगर आपको आन लाइन फील्ड समझ नहीं आती तो आप दिन के चार-पाँच घण्टे लगा कर फिज़िकली कई काम कर सकते हैंः  

फिज़िकली किये जाने वाले चन्द कारोबार Business की सूचीः-  

1. सर्दियों में जुराबें, बनियानें व स्वेटरों की मार्केटिंग करें।

2. गर्मियों में मच्छरदानी, शर्बत की मार्केटिंग करें।

3. छोटे बच्चों के सूट की मार्केटिंग करें।

4. ख़ुश्क मेवाजात की मार्केटिंग कर सकते हैं।

5. शहद, घी, सिलाजीत फरोख़्त कर सकते हैं।

6. इलाक़ाई सौग़ात की तिजारत कर सकते हैं।

7. हिकमत और हिजामा का काम कर सकते हैं।

8. किताबों की जिल्द का काम कर सकते हैं।

9. इस्लामी किताबें, मकतब व स्कूली किताबें और स्टेशनरी बेच सकते हैं।

10. शाॅरमा बर्गर का काम करें, मग़रिब से लेकर रात नौ दस बजे तक हज़ार पंद्रह सौ रोज़ कमा सकते हैं।

11. अपने साथ किसी अज़ीज़ रिश्तेदार भाई को मिलाकर इंवेस्टमेंट करके खाने-पीने का बिज़नेस और दूसरे बहुत सारे बिज़नेस किये जा सकते हैं।       

उलमा-ए-किराम, क़ुर्रा हज़रात को अल्लाह तआला ने इज़ाफी सलाहियतों से नवाज़ा होता है, दूसरों की निसबत हाफिज़ व आलिम में इस्तेदाद और सलाहियतें ज़्यादा होती हैं।       

इस लिए, ज़रूरत है तो सिर्फ हिम्मत और हौसले की, दिल से दूसरों के जेब की रग़बत (तमन्ना) निकाल फेंकें और मुस्तग़नी (मुत्मइन) होकर कोई हुनर सीखें और अपने आपको मुआशरे का ख़ुशहाल इंसान बनायें।  

कोई जादू की छड़ी, सुलेमानी टोपी नहीं मिलेगी कि हालात बैठे बैठाये अच्छे हो जायेंगे। आपको भरपूर मेहनत करनी होगी और दिल लगा कर अपने हालात को सुधारना होगा।  

अगर आपको मस्जिद की कमेटी या इदारा फारिग़े अवक़ात (फ्री समय) में कोई तिजारत या काम करने की इजाज़त नहीं देता तो इसमें किसी का कोई क़ुसूर नहीं और इसका कोई हल भी नहीं है।

तहरीर             :  जनाब हामिद हसन साहब  

इरसाल कर्दा    :  जनाब मौलाना अब्दुर्रहमान साहब

Post Navi

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ