मिड-डे मील में मिली गड़बड़ी पर सरकार ने जारी किया फरमान, स्कूल बंद होने तक रखना होगा खाने का सैंपल
संत कबीर नगर। परिषदीय विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए बनाए गए मध्याह्न भोजन के नमूने को विद्यालय बंद होने तक सुरक्षित रखा जाएगा। हर महीने 10 स्कूलों के खाने के सैंपल की लैब में जांच की जाएगी। इसकी गुणवत्ता की एसएमसी सदस्यों द्वारा प्रतिदिन जांच की जाएगी। यदि भोजन की गुणवत्ता खराब पाई जाती है तो संबंधित प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जिले में 1247 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें 205 समग्र, 192 उच्च प्राथमिक और 805 प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं। इन विद्यालयों में एक लाख 58 हजार विद्यार्थी पंजीकृत हैं। लगभग 80 प्रतिशत विद्यार्थी प्रतिदिन मध्याह्न भोजन ग्रहण करते हैं। इसके संचालन के लिए मिड डे मील अथॉरिटी ने एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) अभियान शुरू किया है। इसके तहत बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखा जाएगा।
जिले के 10 विद्यालयों के रसोइयों या स्वयंसेवी संस्थाओं के रसोइयों से प्रति माह नमूने लेकर खाद्य सुरक्षा प्रयोगशाला में जांच की जायेगी. दो वयस्कों द्वारा भोजन चखने के बाद गुणवत्ता संतोषजनक होने पर बच्चों को भोजन वितरित किया जाएगा। विद्यालय स्तर पर प्रतिदिन भोजन चखने का रोस्टर बनाया जायेगा तथा प्रतिदिन भोजन चखने वाले व्यक्ति का नाम एवं पदनाम अंकित किया जायेगा।
इसका लेखा-जोखा प्रधानाध्यापक को रखना होगा। विद्यालय में डायनिंग शेड उपलब्ध न होने की स्थिति में बच्चों को स्वच्छ एवं साफ-सुथरे स्थान पर अनुकूल वातावरण में उचित दूरी पर चटाई पर कतारों में बिठाकर भोजन कराया जायेगा.
विशेष कोटः मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निर्देशानुसार हर माह 10 स्कूलों के भोजन की गुणवत्ता की जांच प्रयोगशाला में कराई जाएगी। बच्चों को भोजन देने से पहले उसे चखा जाएगा।
-रजनीश वैद्यनाथ, जिला समन्वयक, मध्याह्न भोजन
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