Hadees e Jibraeel : इस्लाम ईमान एहसान और आमाल: Paigam e Rasool


बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

अमल का दारोमदार नियत पर

और अल्लाह अज़्ज़-व-जल का फरमान

‘‘इन्ना अऊ हईना इलईकः कमा अऊ हईना इला नूहिन वन्नबीइईनः मिम बअदिही’’

हमने बिला शुबा (ऐ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) आप की तरफ वह्यी (ईश्वरीय संदेश) का नुज़ूल उसी तरह किया है जिस तरह नूह (अलैहिस्सलाम) और इनके बाद आने वाले तमाम नबियों की तरफ किया था।

हदीस: 01 :

अन उःमःरब निल ख़त्ताबि रजिअल्लाहु अन्हु क़ालः, क़ालः रसूलुल्लाहि सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लमः ‘‘इन्नमल अअमालु बिन्नियाति, व इन्नमा लिकुल्लिम रिइम्मा नवा, फमन कानत हिज-रतुहू इलल्लाहि व रसूलिही फ हिज-रतुहू इलल्लाहि व रसूलिही व मन कानत हिज-रतुहू इला दुनिया युसीबुहा अबिम रअतिंय्यतःज़व्वजःहा फ-हिज-रतुहू इला मा हाजरः इलैहि

(रवाहुल-बुख़ारी – 01, 54, 2529, 3898, 5070, 6689, 6953 व सहीह मुस्लिम – 1907, अल-इमारह: 100)

उमर बिन ख़त्ताब रजिअल्लाहु अन्हु बयान करते हैं, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः ‘‘तमाम आमाल का दारोमदार नियतों पर है, हर शख़्स को वही कुछ मिलेगा जो उसने नियत की, पस जिस शख़्स की हिजरत अल्लाह और उस के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की ख़ातिर हुयी तो उसकी हिजरत अल्लाह और उस के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की ख़ातिर है, और जिस शख़्स की हिजरत हुसूल-ए-दुनिया किसी औरत से शादी करने की ख़ातिर हुए तो उसकी हिजरत उसकी ख़ातिर है जिसकी ख़ातिर उसने हिजरत की।’’ (इस हदीस को बुख़ारी व मुस्लिम ने रिवायत किया है जिसका नम्बर ऊपर हदीस के साथ लिखे हुए है।)

ईमान के बारे में हदीसे रसूल सल्ल0

हदीस: 02:

अन उ-मरब्निल ख़त्ताबि रजिअल्लाहु अन्हु क़ालः: बईनमा नहनु इन्दः रसूलिल्लाहि सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लमः ज़ातः यऊमिन इज़ा तरअ अलईना रजुलुन शदीदु वईज़ाइस्सियाबि शदीदु सवादिश्शअरि ला युरा अलईहि अ-स़-रूस स-फरि बला यअरिफुहू मिन्ना अहदुन हत्ता ज-ल-स इलन्नबिइयी सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लमः फ-अस-न-द रूक बतई हि इला रूक बतईहि व व-ज़-अ कफईहि अला फखि़ज़ईहि व क़ालः: या मुहम्मदु! अख़्बिर्नी अनिल इस्लाम, क़ालः (( अल-इस्लामु अन तश-ह-द अल्लाईलाहा इल्लल्लाहु व अन्नः मुहम्मदन रसूलुल्लाहि व तुक़ीमुस्सलातः व तुअतियत ज़कातः व तसूमः र-म-ज़ानः व-त-हुज्जल बइतः इनिस त-त़अतः इलईहिस्सबीलन )) क़ालः: सदक़-त फ-अजिब-न लहू यस अलुहू वयुसद्दिक़ुहू क़ालः: फ-अख़्बिर्नी अनिल ईमानि, क़ालः (( अन तुअमिनः बिल्लाहि व मलाइकतिही व कुतुबिही व रूसुलिही वल यऊमिल आखि़रि व तुअमिनः बिल क़द्रि ख़इरिही व शर्रिही, क़ालः: सदक़्तः, क़ालः: फ-अख़्बिर्नी अनिल एहसानि, क़ालः: अन तअ बुदल्लाहः क-अन्नकः तराहु फ-इल्लम तकुन तराहु फ-इन्नहु यराकः )) क़ालः फ-अख़्बिर्नी अनिस्साअति, क़ालः: (मल उस्ऊलु अन्हा बि-अअलमा मिनस-साइलि )) क़ालः फ-अख़्बिर्नी अन अमारातिहा, क़ालः (( अन तलिदल अ-म-तु रब-ब-त-हा व अन्तरल हुफातल उरातल आलतः रिआ अश्शाइ य-त-ता वलूना फिल बुन्यानि )) क़ालः: स़ुम्मन त-ल-क़ फलिस्तु मलीय्यन स़ुम्मः क़ालः ली: (( या उ-मरू! अतद्री मस्सिाइलु? )) क़ुल्तु: अल्लाहु व रसूलुहू अअलमु, क़ालः (( फ-इन्नहु जिब्राईलु अताकुम यु-अल्लिमु-कुम दीनुकुम )) ।

(रवाहुल बुख़ारी – 50, 4777 व मुस्लिम – 97)

उमर बिन ख़त्ताब रजिअल्लाहु अन्हु बयान करते हैं, हम एक रोज़ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम के खि़दमत में हाज़िर थे कि इस इस्ना में एक आदमी हमारे पास आया, जिस के कपड़े बहुत ही सफेद और बाल इन्तिहाई सियाह थे, उस पर सफर के आस़ार नज़र आते थे न हम में से कोई उसे जानता था, यहां तक कि वो दो ज़ानूं होकर नबी सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम के सामने बैठ गया और उस ने अपने दोनों हाथ अपनी रानों पर रख लिए, और कहाः मुहम्मद सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम! इस्लाम के मुताल्लिक़ मुझे बतायें, आप सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम ने फरमायाः ‘‘इस्लाम ये है कि तुम गवाही दो कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद-ए-बरहक़ नहीं, और ये कि मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं, नमाज़ क़ायम करो, ज़कात अदा करो, रमज़ान के रोज़े रखो और अगर हैसियत हो तो बैतुल्लाह का हज करो।’’ उस ने कहाः आप ने सच फरमाया, हमें इस से तअज्जुब हुआ कि वो आप से पूछता है और आप की तस्दीक़ भी करता है, उस ने कहाः ईमान के बारे में मुझे बतायें, आप सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम से फरमायाः ‘‘ये कि तुम अल्लाह पर, उस के फरिश्तों पर, उस की किताबों, उस के रसूलों, और यौम-ए-आखि़रत यानी आखि़रत के दिन पर ईमान लाओ और तुम तक़दीर के अच्छा और बुरा होने पर ईमान लाओ।’’ उस ने कहाः आप ने सच फरमाया, फिर उस ने कहाः एहसान के बारे में मुझे बताऐं, आप सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम ने फरमायाः ये कि तुम अल्लाह की इबादत इस तरह करो गोया तु उसे देख रहे हो और अगर तुम उसे नहीं देख सके तो वो यक़ीक़न तुम को देख रहा है।’’ फिर उस ने कहा क़यामत के बारे में मुझे बताऐं, आप सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम ने फरमाया मसऊल (जिससे सवाल पूछा गया) इसके मुताल्लिक़ साइल (पूछने वाले) से ज़्यादा नहीं जानता।’’ उसने कहा उस (क़यामत) की निशानियों के बारे में मुझे बता दें। आप सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम ने फरमायाः ‘‘ये कि लौंडी अपने मालिका को जन्म देगी, और ये कि तुम नंगे पांव, नंगे बदन, तंगदस्त बकरियों के चरवाहों को बुलन्द व बाला इमारतों की तामीर और उन पर फख्ऱ करते हुए देखोगे।’’ उमर रजिअल्लाहु अन्हु ने फरमायाः फिर वो शख़्स चला गया, मैं कुछ देर ठहरा रहा। फिर आप सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम ने मुझ से पूछाः ‘‘उमर! क्या तुम जानते हो साइल कौन था?’’ मैंने अर्ज़ किया, अल्लाह और उसके रसूल बेहतर जानते हैं, आप सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम ने फरमायाः ‘‘वो जिब्राईल अलईहिस्सलाम थे, वो तुम्हें तुम्हारा दीन सिखाने के लिए तुम्हारे पास तश्रीफ लाये थे।’’ (इस हदीस को बुख़ारी व मुस्लिम ने रिवायत किया है जिसका नम्बर ऊपर हदीस के साथ लिखा हुआ है।)इस हदीस को हदीसे जिब्राईल भी कहते हैं।

हदीस नं0 03 :

वरवाहु अबू हुरैरतः रजिअल्लाहु अन्हु मअख़्तिलाफिन व फीहि: ((व इज़ा र-अईतल हुफाअल उरातस सुम्मल बुक्मः मुलूकल अर्जि़ फी ख़म्सिन ला यअ-लमुहुन्नः इल्लल्लाहु )) सुम्मः क़-रअ: (इल्लल्लाहः इन्दहू इल्मुस्साअति वयु नजि़्ज़लिल ग़ईस़ा…))अल-आयत, मुत्तफक़ुन अलैह

(रवाहुल बुख़ारी – 50, 4777 व मुस्लिम (अल-ईमान) – 9)

अबू हुरैरह रजिअल्लाहु अन्हु ने इस हदीस को कुछ अल्फाज़ के इख़्तिलाफ के साथ रिवायत किया है, इस हदीस में हैः ‘‘जब तुम नंगे पांव और नंगे बदन, बेहरे गूँगे लोगों को मुल्क का बादशाह देखोगे, और ये (वुक़ू-ए-क़यामत) पाँच चीज़ों में से है जिन्हें सिर्फ अल्लाह ही जानता है, फिर आप सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम ने ये आयत तिलावत फरमायीः ‘‘बेशक क़यामत का इल्म अल्लाह की के पास है और वही बारिश नाज़िल करता है…।’’

(इस हदीस को बुख़ारी व मुस्लिम ने रिवायत किया है जिसका नम्बर ऊपर हदीस के साथ लिखा हुआ है।)

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