Splashing towards the shame after Wuzu: वुज़ू के बाद शर्मगाह की तरफ छींटे मारना


(बिस्मिल्लाहिर्रमानिर्रहीम)

सवालः वुज़ू के बाद शर्मगाह की तरफ छींटे मारने की शरई हैसियत क्या है?

जवाबः वुज़ू के बाद शर्मगाह की तरह छींटेे मारना शरई तौर पर जायज़ और दुरूस्त है, इसके ज़रिए शैतानी वसवसे दूर होते हैं। सहीह हदीस़ मेें हैः

‘‘रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पेशाब करते तो वुज़ू करते और शर्मगाह पर पानी के छींटे मारते।’’ (हवाला - अबू दाऊद सहीह हदीस़: 166, हाकिम: 1/171, इस रिवायत को इमाम हाकिम रहिमहुल्लाह और इमाम ज़हवी ने बुख़ारी व मुस्लिम की शर्त पर सहीह कहा है।)

सुनन नसाई में ये अल्फ़ाज़ हैं-

‘‘हज़रत हकम बिन सुफियान रज़ि0 से रिवायत है वो बयान करते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह सल्ल0 को देखा आप ने वुज़ू किया और अपनी शर्मगाह पर पानी छिड़का।’’ (हवाला - नसाई: 134,135)

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से एक आदमी ने शिकायत की कि मैं जब नमाज़ में होता हूँ तो मुझे ख़्याल आता है कि मेरे ज़कर पर तरी है तो हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि0 फ़रमाते हैंः

‘‘अल्लाह शैतान को ग़ारत करे वो नमाज़ में इंसान की शर्मगाह को छूता है ताकि उसे ये ख़्याल दिलाये कि वो बे वुज़ू हो गया है, जब तुम वुज़ू करो तो अपनी शर्मगाह पर पानी की छींटे मार लिया करो। पस अगर तू ऐसा ख़्याल पाये तो ये समझ लेना कि ये पानी है। तो उस आदमी ने ऐसे ही किया तो ये वसवसा ख़त्म हो गया।’’ (हवाला - अब्दुर्रज़्ज़ाक़: 1/151-583, इब्ने अबी शैबह: 1/193)

हज़रत नाफेअ रहिमहुल्लाह बयान करते हैंः

‘‘हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा वुज़ू करते तो अपनी शर्मगाह पर छींटे मारते।’’ (हवाला - इब्ने अबी शैबह: 1/194)

दाऊद बिन क़ैस फ़रमाते हैं मैंने मुहम्मद बिन कअब अल-क़रज़ी से सवाल कियाः ‘‘(मैं क्या करूँ जब) मैं वुज़ू करता हूँ तो तरी को पाता हूँ?’’ उन्होंने कहाः ‘‘जब तुम वुज़ू कर लो तो अपनी शर्मगाह पर पानी के छींटे मार लिया करो, जब तुम्हें ऐसा वसवसा आए तो समझना कि ये वही पानी है जिसके मैंने छींटे मारे हैं। शैतान तुझे नहीं छोड़ेगा यहांतक कि तेरे पास आएगा और तुझे तंग करेगा।’’ (हवाला - अब्दुर्रज़्ज़ाक़: 1/152)

मज़कूरा बाला हदीस़ और आस़ार से स़ाबित हुआ कि वुज़ू के बाद अगर कोई आदमी अपने तहबंद और शलवार वग़ैरह के ऊपर शैतानी वसवसों को दूर करने के लिए छींटे मारे तो ये शरई तौर पर जायज़ व दुरूस्त है।

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