दोस्तों! मुसीबत में अल्लाह की रहमत से कभी भी हमें मायूस नहीं होना चाहिए, बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल व करम के उम्मीदवार रहो, जैसाकि अल्लाह ने अपनी किताब क़ुरआन मजीद की सूरह यूसुफ-12 की आयत नं0-87 में इरशाद फ़रमाया हैः
‘‘मेरे प्यार बच्चों! तुम जाओ और यूसुफ अलैहिस्सलाम की और उसके भाई की पूरी तरह तलाश करो और अल्लाह की रहमत से मायूस न हो, क्योंकि अल्लाह की रहमत से काफ़िर ही मायूस होते हैं।’’
पस कितनी ही बड़ी मुसीबत क्यों न हो दिल शिकनी हरगिज़ न होना चाहिए शरियत में इसकी ताकीद की गई है कि मुसीबत के वक़्त में ना उम्मीद होने के बजाए हक़ तआला से उम्मीदवार रहना चाहिए, क्योंकि असबाब से बढ़कर भी तो कोई चीज़ है। ना उम्मीदी की बात तो वो कहते हैं जिसका दीन (ईमान) तक़दीर पर न हो महज़ तदबीर पर हो।
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