दोस्तों, यदि आप में से कोई किसी मस्जिद का ज़िम्मेदार मतलब मस्जिद का सदर या सदस्य बनना चाहता है तो उसे नीचे दिए गए बातों को ज़रूर ध्यान में रखना चाहिएः
1. 25 से 50 साल का दीनदार मुसलमान हो
2. नमाज, रौज़े का पाबंद हो
3. चेहरा सुन्नते रसूल से सजा हुआ हो
4. सूरह यासीन और दोनों खुत्बे याद हों गुलाम
5. मुकम्मल शरई लिबास हो
6. अल्फ़ाज़ की अदायगी के साथ अज़ान व तकबीर याद हो
7. वुजू और नमाज की सुन्नतें, फराइज़ व शराइत याद हों
8. इमाम साहब की गैर मौजूदगी में नमाज़ की इमामत कर सकता हो
इन तमाम चीजों को अपने अंदर पाने के बाद ही मस्जिद की कमेटी का सदर एवं सदस्य बनने की कोशिश करें वरना अपने जाहिलाना दिमाग़ को एक आलिम के ऊपर मुसल्लत करने से गुरेज़ करें एक मस्जिद का इमाम मुहल्ले का इमाम होता है किसी के बाप का ग़ुलाम नहीं, इमाम को किसी भी तरह से तकलीफ देना खुद अपने हाथों जहन्नम ख़रीदने के बराबर होगा।
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