एक बादशाह के सामने चार आदमी बैठे थे: (1) अंधा (2) फ़क़ीर (3) आलिम (4) आशिक़
बादशाह ने ये मिसरा कह दियाः
‘‘इस लिए तस्वीर जानां हमने बनवायी नहीं’’
और सबको हुक्म दिया कि इस से पहले मिसरा लगाकर शेर पूरा करो।
अंधे ने कहा:
‘‘इसमें गोयायी नहीं और मुझमें बीनायी नहीं,
इस लिए तस्वीर जानां हमने बनवायी नहीं’’
फ़क़ीर ने कहाः
‘‘मांगता पैसे मुसव्विरजेब में पाई नहीं,
इस लिए तस्वीर जानां हमने बनवायी नहीं’’
आलिम ने कहाः
‘‘बुत परस्ती दीन-ए-अहमद में कभी आई नहीं,
इस लिए तस्वीर जानां हमने बनवायी नहीं’’
आशिक़ ने तो कमाल की हद कर दी...कहाः
‘‘एक से जब दो हुए फिर लुफ्त यकताई नहीं,
इस लिए तस्वीर जानां हमने बनवायी नहीं’’
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