A muslim women feeds around 400 dogs and cats everyday : एक मुस्लिम ख़ातून की एक दिलचस्प मिसाल



दोस्तों! समाजी खि़दमात अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि इससे दिल को सुकून मिलता है और  लोगों  की मदद होती है, और खि़दमत करने वाले को ईश्वर बहुत बड़ा इनाम देगा। हमें हर किसी के काम आना चाहिए, अब चाहे वो इंसान हो या जानवर, आखि़र है तो अल्लाह की मख़लूक, हमें सबकी खि़दमत करना चाहिए। इसी की एक अहम मिसाल हम आपकी खि़दमत में पेश कर रहे हैं।

क्राउड फंडिंग की एक मशहूर वेबसाइट पर एक ऐलान ने अपनी तरफ मुतवज्जा कियाः 

‘‘मेरी मदद करें ताकि मैं एक मुस्लिम ख़ातून की माली मदद कर सकूं जो रोज़ाना क़रीब चार सौ बिल्लियों और कुत्तों को खाना खिलाती है।’’

इस सुर्खी के नीचे तफसील कछ इस तरह थीः

‘‘लाॅकडाउन शुरू होने के बाद, मैं और मेरे दोस्त ने शाम को टहलना शुरू किया। हम अपने इलाक़े की सड़कों पर टहला करते थे। हमने नोटिस किया कि हर शाम को एक औरत सड़कों पर फिरते जानवरों को खाना खिलाती है। हम एक दिन उसके पास गए, उसने बताया कि कोविड शुरू होने के बाद ही से उसने ये काम शुरू किया है। उसकी मुलाज़िमत ख़त्म हो गई और उसने अपना सारा सरमाया उन जानवरों को खाना खिलाने में लगा दिया है। तक़रीबन 20 किलो खाना लेकर वो रोज़ाना शाम में 15 किलोमीटर पैदल चलती है। हमने देखा कि वो रमज़ान के महिने में भी ये काम कर रही है। वो मुसलमान है और तमाम जानवरों को खाना खिलाने के बाद ख़ुद इफ़तार करती है। उसने क़रीब 20 बिल्लियां पाल रखी हैं। वो किराए के मकान में रहती है, उसके पड़ौसी उसके लिए बहुत ज़्यादा दुशवारियां खड़ी करते हैं। वो मज़बूत और हिम्मत वाली औरत है, और ख़ुद को उन लोगों की हौसला शिकनी का शिकार नहीं होने देती है। मैंने और मेरे दोस्त ने उसके लिए रक़म जमा करने की कोशिश की मगर वो रक़म उस काम के लिए काफी नहीं है। इसलिए हम और मदद चाहते हैं।

https://www.ketto.org/fundraiser/help-me-fund-a-muslim-woman-who-feeds-around-400-dogs-and-cats-everyday

इस मिसाल से यहां ये बताना मक़सूद है कि समाजी खि़दमत का शौक़ पूरा करने के लिए क्या क्या राहें निकल सकती हैं। कोविड के ज़माने में जब ये बाहर फिरने वाले जानवरों की हालत वास्तव में क़ाबिले रहम थी, उस औरत के दिल में शौक़ पैदा हुआ जानवरों को खाना खिलाने का, और फिर उसे देखने वालों के दिल में शौक़ पैदा हुआ उस औरत की मदद करने और उसके लिए क्राउड फंडिंग की मुहिम छेड़ने का। समाजी खि़दमत की ये ख़ुसीयित  अहम है कि उसमें चिराग़ से चिराग़ जलते हैं।

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