Mother's Lap : मांँ की गोद : Written by M.A. As'ad Etawi


Mother’s Lap : करीब दो साल पहले जब यह पाठ लिखा गया था तब भी मैं अपनी माँ की गोद में लेटा हुआ था और आज भी मां की गोद में लेटा हूँ। साथ ही, यह मेरी दिनचर्या है। तब भी वही भावनाएं थीं और आज भी वही भावनाएं हैं – मुहम्मद आसिम असअद सलफी इटावी. Now let’s start – Mother’s Lap

झूठ कहते हैं वो लोग जो कहते हैं कि बच्चों के बड़े होने के बाद माँ का अपने बच्चों के प्रति प्यार कम हो जाता है और पहले जैसा नहीं रहता।

अल्लाह की कसम! माँ का प्यार अपने बच्चे के लिए कभी कम नहीं होता है, चाहे बच्चा कितना भी बड़ा क्यों न हो, लेकिन वास्तव में, बड़े होने के बाद, इंसान का बड़कपन उसके और उसकी मां के प्यार के बीच आढ़े आ जाता है और लोहे की दीवार के रूप में खड़ा हो जाता है।

तब मनुष्य अपनी दृष्टि से बड़कपन के चलते अपनी माँ के प्रेम को नहीं देख पाता और न ही महसूस कर पाता है, वास्तव में, इस समय माँ की ममता को देखने के लिए, हमें अंतरदृष्टि की आवश्यकता होती है, दृष्टि नहीं, जो कुछ लोगों को मिलती है।

चुनांचे बड़कपन की इस झूठी दीवार को तोड़कर इनसाइट की आंख खोलकर अपनी माँ के अपार प्रेम, उनके अनुपम प्रेम और उनके उत्साह को देखें, वास्तविकता अपने आप स्पष्ट हो जाएगी।

निश्चित रूप से पता है! मां कभी नहीं बदलती, और न ही कभी उसकी ममता और मुहब्बत में कमी आती है, लेकिन सच्चाई यह है कि बड़े होने के बाद, हम खुद बदल जाते हैं और अपनी माँ की ममता को नहीं पहचान पाते हैं।

यकीन न हो तो अपनी माँ की आंखों में छुपी ममता को देखने की कोशिश करो और दो पलों के लिए उसकी गोद में अपना सिर रख कर देखें, फिर से बचपन की दुनिया में खो जाएंगे।

अल्लाह गवाह है, इन वाक्यों को लिखते समय भी, मैं खुद अपनी माँ की गोद में लेटा हुआ हूँ और वह इस मुहब्बत से मेरे सिर पर अपना हाथ फेर रही है कि मैं अभी भी 2 या 3 साल का बच्चा हूँ।

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