ATM Story : पस यह सिद्ध हो गया कि उनका इलाज संभव है जिनको ज्ञान हो कि वो जाहिल हैं जबकि वे नहीं जानते, परन्तु ऐसे जाहिलों का कोई इलाज नहीं है जो अज्ञानता का शिकार होने के बाद भी खुद को बहुत बड़ा ज्ञानी मानते हैं। यानी उन्हें कदापि ये ज्ञान नहीं कि वे स्वयं अज्ञानी हैं। और वो इस ख़ुशफहमी के शिकार होते हैं कि कुछ भी ना जानने के बावजूद समझते हैं कि हमें सब कुछ आता है।
संक्षेप में कहानी (ATM Story) इस प्रकार है, मैं एटीएम में पैसे निकालने के लिए गया था और अभी पैसे निकाल रहा था कि एक सज्जन अंदर आते हैं। मैंने उनसे कहा कि आपने अंदर आने की जहमत क्यों उठाई, सर। उन्होंने कहा, ‘‘क्या आपको कोई कठिनाई है?’’
हमने आश्चर्य से जवाब दिया, ‘‘हाँ, बिल्कुल कठिनाई है। मैं यहाँ अंदर मौजूद हूँ और आप फिर भी अंदर आ गए।
फिर उस सज्जन ने मुझे आश्चर्य के समुद्र में ढकेलते हूए कहा, ‘‘अंदर दो लोगों का परमीशन है।’’
मैंने बड़ी मुश्किल से आश्चर्य के संमुद्र में डूबने से खुद को बचाया, और जब मैं धैर्य की नाव चलाकर किनारे लगा, तो मैंने कहा, ‘‘सर, क्या आप ठीक तो हैं? ये आपसे किसने कह दिया कि अंदर दो व्यक्ति की परमीशन है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं बस जानता हूँ।’’
मैंने ज़ोर देकर कहा कि नहीं केवल एक ही की परमीशन है। परन्तु वे बहुत ही बड़े अज्ञानी (जाहिल) थे। वे इसे किसी भी तरह से स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। अंत में उन्होंने कहा, ‘‘दिखाओ कहाँ लिखा है?’’
मैंने जब अधिक बहस को निरर्थक जाना तो चुपचाप बाहर निकलना ही उचित समझा।
अभी दरवाज़ा खोलकर बाहर निकला ही था कि मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान छा गई, दरअसल एटीएम के दरवाजे पर मोटे अक्षरों में साफ लिखा था कि एक बार में सिर्फ एक ही व्यक्ति (Only one person at a time)। यह देखकर मेरा धीरज टूट गया और मैंने उसी पल दरवाजा खोला और चाचा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ये देखो क्या लिखा हुआ है।’’
अब उन साहब की बोलती बंद थी। क्योंकि कहने के लिए कुछ भी नहीं बचा था, कहने लगे, ‘‘हाँ, हाँ, ठीक है, और फिर आएं बाएं शांएं करके चुप हो गए।
Moral of the Story : यदि किसी व्यक्ति को किसी चीज़ के बारे में जानकारी ना हो तो उस व्यक्ति को चुप रहना चाहिए और बिना किसी कारण के ज्ञान का उपभोग करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, अन्यथा उसका अंजाम अपमान और रूसवायी ही होता है।
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