लेकिन बड़े ही दुःख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि मौत के बाद की असल कामयाबी की हम कभी भी फिक्र नहीं करते हैं कि हमारी औलाद अल्लाह के अज़ाब से बच जाए और उन्हें अल्लाह तआला की खूबसूरत जन्नत मिल जाए। और ये तभी मुमकिन हो सकता है जब हम अपनी औलाद को दुनियावी तालीम (शिक्षा) के साथ दीनी तालीम भी पढ़ावें । अतः औलाद का दीनी तालीम (शिक्षा एवं प्रशिक्षण) करना और उन्हें जहन्नम की आग से बचाना मां बाप पर फ़र्ज़ है। जैसा कि सूरह तहरीम की आयत 6 में । अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है:
“ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! बचाओ अपने आपको और अपने घर वालों को उस आग से जिसका ईंधन इंसान हैं और पत्थर हैं जिस पर सख्त दिल और मज़बूत फ़रिश्ते मुकर्रर हैं जो कभी अल्लाह के हुक्म की नाफ़रमानी नहीं करते और जो कुछ उन्हें हुक्म दिया जाता है उसे पूरा करते हैं।”
इसी तरह औलाद के दीनी अधिकार अदा न करने वाले कयामत के दिन सबसे ज्यादा नुकसान पाने वाले होंगे। जैसा कि कुरआन मजीद की सूरह जुमुर की आयत 15 में अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने इरशाद फरमाया है:
“कह दीजिए! कि नुकसान में रहने वाले लोग वे हैं जिन्होंने कयामत के दिन अपने आपको और अपने घर वालों को नुकसान में डाला अच्छी तरह सुन लो, यही खुला नुकसान है।” 1
अल्लाह तआला से दुआ है कि हम सभी को दीनी तालीम हासिल करने और करवाने, कुरआन व सुन्नत अमल करने और जहन्नम की आग से बचने की तौफीक अता फरमाए, आमीन!
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