Flying Arrow : उड़ता तीर ख़ुद अपने ऊपर : Lady Bus Conductor

M.A.As’ad Salafi, Etawi

Flying Arrow बैंगलोर : 

अभी बस में एक लेडी कंडेक्टर को बार बार चीखता लिल्लाता देख ये अंदाज़ा हुआ कि हर चीज़ में मर्दों की बराबरी की ये बचकाना ख़्वाहिश औरतों को किस मक़ाम पर ले आयी है। उस कंडेक्टर के ख़स्ताहाल, बिख़रे बाल, लहज़े की झुंझलाहट, आवाज़ की कड़वाहट और ज़ाहिरी थकावट साफ़ बता रही थी कि जो औरत कल इज़्ज़त कमाने निकली थी आज वो बसों में हर रोज़ ज़लील हो रही है।

हुक़ुक़ ए निसवां के इन छोटे अलमबर्दारों ने ज़रा से माल का लालच देकर औरत को एक शख़्स (शौहर) की ख़िदमत से निकालकर सैंकड़ों लोगों की ख़िदमत में लगा दिया और उस पर आज़ादी का लेबल चस्पा करके इस तरह धोका दिया कि नादान औरतें समझ ही न सकीं और उनके दाम फ़रेब में आकर अपनी ज़िन्दगियां तबाह कर लें। अल्लाह की क़सम! इस्लाम में औरत का मक़ाम इससे बहुत बालातर है कि वो चन्द सिक्कों के इवज़ अपनी इज़्ज़त व वक़ार को भूल जाए और घरों में शान से शहज़ादी बनकर रहने की बजाए नौकरी के नाम पर बसों और ट्रेनों में धक्के खाए और हर रोज़ ज़लील व ख़्वार हो।

औरत फ़ितरी तौर पर जज़्बाती होती है लिहाज़ा अल्लाह रब्बुल आलमीन ने कमाने की ज़िम्मेदारी उस पर नहीं रखी फिर भी उन औरतों ने शरई हुदूद को पसे पुश्त डाल कर थोड़े से माल के लालच में ये ज़िम्मेदारी ख़ुद अपने ऊपर ले ली। ये बिल्कुल ऐसे ही है जैसे उड़ता तीर ख़ुद अपने ऊपर ले लेना।

(जनाब मुहम्मद आसिम असद, सलफी, इटावी (हफ़िज़हुल्लाह)
M.A. As’ad Salafi Etawi

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