Divorce : बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम : पोस्ट में तलाक़ Divorce के विषय पर चर्चा की गई है जिसमें तलाक़ Divorce से बचने की तलक़ीन की गई है और बताया गया है कि शादीशुदा ज़िंदगी इंसान की बहुत ही ख़ुशगवार गुज़रती है लेकिन “तलाक़” Divorce ये शादीशुदा ज़िन्दगी का बहुत ही तकलीफ़देह मोड़ होता है, यानी शौहर और बीवी का जो निकाह का पाकीज़ा रिश्ता होता है ये तलाक़ Divorce के ज़रिए से टूट जाता है। अतः इसे तलाक़ Divorce के विषय को ध्यानपूर्वक पढ़ें। Now let’s start Avoid divorce at all costs तलाक़ देने और लेने से हर क़ीमत पर बचने की कोशिश करें –
ज़िन्दगी इन्फ़िरादी हो या परिवारिक जिन्दगी हो, इस्लाम बुनियादी तौर पर कानून, रजामन्दी, इन्तेहाद, भाईचारे और मुहब्बत और रहम का परचम बुलन्द करता है। लड़ाई-झगड़ा, फूट-बिखराव, रिश्तों और रिश्तेदारों के हक में नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया है कि रिश्तो को काटने वाला जन्नत मे दाख़िल नहीं होगा। (बुखारी व मुस्लिम)
एक और जगह आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया – रहम अल्लाह तआला के अर्श के साथ जुड़ा है और कहता है जो मुझे मिलाये अल्लाह तआला उसे मिलायेगा जो मुझे काटे तो अल्लाह रब्बुल आलमीन उसे काटेगा। (बुखारी व मुस्लिम)
आम मुसलमानों को यहाँ तक मिलजुल कर और मुहब्बत के साथ रहने का हुक्म दिया गया जैसा कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया है-
किसी मुसलमान के लिये अपने मुसलमान भाई से तीन दिन से ज़्यादा लाताल्लुक रहना जायज़ नहीं और जो शख़्स तीन दिन के बाद इसी हालत मे मर गया वह आग में जायेगा (अहमद व अबू दाऊद)।
शादीशुदा ज़िन्दगी के बारे में तो इस्लाम का क़ानून ही यही है कि ये रिश्ता (यानि निकाह) ज़िन्दगी भर साथ निभाने का और एक दूसरे के साथ वफ़ा करने का रिश्ता होता है जिसके लिये अल्लाह रब्बुल आलमीन ने ख़ासकर दोनों (यानि शौहर और बीवी) के दिनों मे मुहब्बत और नर्मी का अहसास पैदा कर दिया है। यहां तक की दोनों अफराद एक दूसरे के क़रीब से सुख महसूस करने लगते हैं। शादीशुदा ज़िन्दगी की इस छोटी सी ज़िन्दगी में पाबन्दी, वफ़दारी, रज़ामन्दी और भाईचारे को इस्लाम ने जितनी अहमियत दी है। इसका अन्दाज़ा आप इस हदीस से लगा सकते हैं जैसा कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया-
अगर मैं अल्लाह तआला के सिवा किसी ओर को सजदा करने का हुक्म देता तो औरतों को हुक्म देता कि वो अपने शौहर को सजदा करें। (तिर्मिजी)
एक इसी तरह से एक दूसरी हदीस में इरशाद फ़रमाया – उस ज़ात की क़सम जिसके हाथ में मेरी जान हैं जब शौहर बीवी को अपने बिस्तर पर बुलाये और बीवी इन्कार कर दे तो वो ज़ात जो आसमानों में है नाराज़ रहती है। यहां तक कि उसका शौहर उससे राज़ी हो जाये। (मुस्लिम)
तो आप समझ रहे हैं कि किस तरीक़े से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमको ये नसीहत की है कि आपस के रिश्तों को तोड़ना नहीं है बल्कि आपस के रिश्तों को जोड़े रखना है। और जो तलाक़ वाला मामला है वो बहुत ही मजबूरी के तहत, वरना पूरी कोशिश करनी चाहिए कि हम तलाक़ हरगिज़ ना दें।
इसके अलावा आप सल्ल0 ने और भी जगह लोगों को नसीहतें की हैं जैसे कि बीवी को गाली नहीं देना है। (मुस्लिम) और बीवी को लौंडी की तरह मारना नहीं है। (बुखारी)
और सबसे अहम जो बात इस रिश्ते में मर्दों को ताकीद के साथ बताई वो ये है कि तुमने सबसे बेहतर वो हैं जो अपनी बीवी के हक़ में बेहतर हो। (तिर्मिजी)
तो आप देखिए, इन तमाम अहादीस से ये मालूम पड़ता है कि आपस के रिश्तों को अच्छी तरह से निभाना है तोड़ना नहीं है बल्कि अच्छी तरह से निभाऐं, वफ़ादारी के साथ, अख़लाक़ के साथ, ईमानदारी के साथ।
तो आप ज़रा ग़ौर कीजिए कि अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर ईमान रखने वाले कोई भी मर्द और औरत अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में इन तमाम अहादीस की रोशनी में कभी भी ऐसा क़दम नहीं उठाएंगे जिससे रिश्ते आपस में टूट जाएं।
आप जानते हैं कि इबलीस के चेले हर जगह इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि किसी तरीक़े से शादीशुदा ज़िंदगी को बर्बाद कर दें और आपस में दोनों को जुदा करवा दें, आपस के रिश्तों को तुड़वा दें, यानी तलाक़ दिलवा दें।
इबलीस का तख़्त पानी पर है जहाँ से वो तमाम शयातीन को दुनिया के अन्दर भेजता है ताकि वो बुराईयां पैदा करें और लोगों को बहकाएं फुसलाएं। और जो शैतान कोई काम करके आता है तो इबलीस उससे पूछता है, तो वो शैतान कहता है कि मैनें फ़ुलां फ़ुलां काम किया, इस पर इबलीस कहता है कि तूने कुछ भी नहीं किया। और जब एक दूसरा शैतान आता है और इबलीस को ये बताता है कि मैं दो लोगों के पीछे पड़ा रहा मियाँ और बीवी के पीछे पड़ा रहा यहां तक कि मैं उन दोनों को जुदा करवा दिया। इस पर इबलीस उस शैतान को अपने तख़्त पर बैठाता है और कहता है कि तूने बहुत ही अच्छा और बहुत ही बड़ा काम किया।
शयातीन जो हैं वो क्या करते हैं, शादीशुदा ज़िंदगी को बर्बाद करने की कोशिश करते रहते हैं और आपस के रिश्तों को तोड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं और यही उनके लिए सबसे बड़ा काम है। चुंकि रहम अल्लाह तआला के अर्श से जुड़ा हुआ है और ये अल्लाह तआला के अर्श से रहम को काटना चाहते हैं। और जो लोग रिश्तेनातों को काटते और तोड़ते हैं वो जहन्नम के मुस्तहिक़ होते हैं।
और आप जानते हैं कि ज़्यादातर औरतों में ये बातें पायी जाती हैं कि एक सहेली अपनी दूसरी सहेली के शौहर के बारे में ग़लत और उल्टी सीधी बातें बयान करतीं हैं, बहकाती हैं फ़ुसलातीं हैं और ग़लत रास्ते पर ले जाती हैं ताकि उन दोनों में जुदाई हो जाए। इस तरह के मामलात हमें अक्सर घरों के अंदर देखने को मिलते हैं और इस तरह से लोग ग़लत हरकतें करते हैं जिसकी वजह से उनकी हंसती और खेलती ज़िंदगी तबाह व बर्बाद हो जाती है। और उनके रिश्ते टूट जाते हैं। मतलब निकाह टूट जाता है तलाक़ हो जाती है। और इबलीस शयातीन इससे बहुत ज़्यादा ख़ुश होता है।
अतः मैं आप लोगों को इस लेख के ज़रिए से ये पैग़ाम देना चाहूंगा कि हर हाल में रिश्तों को तोड़ने से बचें ताकि शादीशुदा ज़िंदगी तबाह व बर्बाद होने से बच जाए।
अल्लाह तआला से दुआ है कि हम सभी को रिश्तेनातों को तोड़ने और तलाक़ देने व लेने से बचाए, आमीन!
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