बिरिमल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
الحمد لله رب العالمين والصلاة والسلام على نبينا محمد و علی و آله و صحبه اجمعين اما بعد
ان الحمد لله نحمده و نستعينه و نستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا و من سيئات أعمالنا، من يهده الله فلا مضل له و من يضلل فلا هادي له و اشهد ان لا اله الا الله وحده لا شريك له و أشهد أن محمدا عبده و رسوله، امابعد
सब तारीफ़ अल्लाह तआला के लिए है जो सारे जहाँ का रब (पालनहार) है। और दुरूद व सलाम नाज़िल हों उसके सारे अम्बिया अलइहिमुस्सलाम पर बिल ख़ुस़ूस आख़िरी पैग़म्बर जनाब मुहम्मद सल्ल0 पर और आपके आल व अस्हाब, उम्मुल मुमिनात और अज़वाजे मुतह्हरात पर, और अल्लाह तआला रहम फ़़रमाए हम सब पर, आमीन!
अज़ीज़ साथियों!
बेशक अल्लाह तआला ने कुछ चीज़े फ़र्ज़ की हैं उन्हें छोड़ना और कुछ हदें तय की हैं उनसे आगे बढ़ना और कुछ चीजें ह़राम बताई हैं जिनको करना बिल्कुल जाइज़ नहीं।
नबी करीम सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम ने फ़रमायाः “अल्लाह तआला ने अपनी किताब में जिसे हलाल कर दिया वो हलाल है और जिसे हराम बता दिया वह हराम है और जिस चीज़ के बारे में खामोशी अपनायी तो वह माफ है तो तुम अल्लाह तआला की इस छूट को कु़बूल करो, बेशक अल्लाह तआला (किसी चीज़ को) भूला नहीं है” फिर आपने यह आयते शरीफ़ा तिलावत फ़रमाईः
وما كان ربك نسيا
(इस हदीस को इमाम हाकिम ने रिवायत किया है 375/2, और शैख़ अल्बानी ने इसे हसन कहा है: गायतुलमुराम-पेज 12)
मुहर्रमात (यानि हराम काम और हराम चीज़े) ही अल्लाह तआला की हदें हैं:
تلك حدودالله فلا تقربوها
तरजुमा: अल्लाह तआला की हदें हैं तुम उनके करीब भी न जाओ। (सूरह बकरा 187/2)
और अल्लाह तआला ने अपनी हदों से आगे बढ़ने उनकी बेहुरमती करने वाले के लिये सख़्त धमकी उतारी है, फ़रमाने इलाही है:
و من يعص اللّٰه و رسوله و يتعد حدوده يدخله نارا خالدا فيها وله عذاب مهين
तरजुमा : और जो शख़्स अल्लाह तआला की और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम की नाफ़रमानी करे और उसकी तय की गई हदों से आगे निकले उसे वह जहन्नम में डाल देगा जिसमें वह हमेशा रहेगा, ऐसे ही शख़्स के लिये ज़लील करने वाला अज़ाब है। (सूरह निसा- 14/4)
लिहाज़ा मुहर्रमात से बचना वाजिब है नबी करीम सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम का भी फ़रमान हैः।
ما نهيتكم عنه فاجتنبوه وما أمرتكم به فا فعلوا منه ما
استطعتم
तरजुमा: जिस चीज़ से मैंने तुमको मना किया है उससे बचो और जिस चीज़ का मैंने तुमको हुक्म दिया है उसे अपनी ताक़त के मुताबिक़ बजा लाओ। (मुस्लिम-130)
देखने में आया है कि जब अपनी मर्जी व ख़्वाहिशों पर चलने वाले कम इल्म लोग बराबर ह़राम चीज़ों के बारे में सुनते हैं तो परेशान होकर “खूख़ां” करने लगते हैं और कहते हैं कि तुमने कोई चीज़ ह़राम किये बगै़र छोड़ी ही नहीं, तुमने तो हमारी ज़िन्दगी मुश्किल कर दी, हमारे ऐश में ख़लल डाल दिया, और हमारे दिल तंग कर दिये हैं तुम्हारे पास ह़राम और तह़रीम के अलावा और कोई काम है ही नहीं (भैया) दीन तो आसान है, और मामले में गुंजाइश है और अल्लाह तआला भी बख़्शने वाला रहम करने वाला है, उन लोगों की इस खु़शनुमा तक़रीर के जवाब में हम अर्ज करते हैं: बेशक अल्लाह जल्ल जलालुहू जिस चीज़ का चाहता है हुक्म देता है उसके हुक्म को कोई चैलेंज करने या उसकी कोई पकड़ करने वाला नहीं, वह हि़क्मत वाला जानने वाला और देखने वाला और हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है। वह जिस चीज़ को चाहता है ह़लाल करता है और जिसको चाहता है ह़राम क़रार देता (सुब्हानहू व तआला) और हमारी बन्दगी का तका़ज़ा ये है कि उसके हुक्म पर राज़ी हो जायें और अपना सर झुका दें और कुछ उसकी तरफ़ से हुक्म हुआ है उसको उसी तरह मान लें (और यक़ीन व ईमान रखें) कि अल्लाह सुब्हानहू व तआला के तमाम हुक्म उसके इल्म व हिक्मत व अक्लमंदी, बराबरी व इंसाफ़ से ही जारी होते हैं, ये कोई बेकार व नाहक और कोई खेल तमाशा नहीं है, अल्लाह तआला का फ़रमान है।
وتمت كلمة ربك صدقا وعدلا لا مبدل لكلماته و هو السميع العليم
तरजुमा: और आपके रब का कलाम सच्चाई और इंसाफ के ऐतबार से पूरा है और इसके कलाम को कोई बदलने वाला नहीं और वह खू़ब सुनने वाला और खू़ब जानने वाला है। (सूरह अनआमः115/6)
इसके अलावा अल्लाह तआला ने एक उसूल ब्यान फ़रमाया जिस पर ह़लाल या ह़राम का दारोमदार है लिहाज़ा इरशाद फ़रमायाः
ويحل لهم الطيبات و يحرم عليهم الخبائث
तरजुमा: और वह (नबी करीम सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम) पाकीज़ा चीज़ों को ह़लाल बताते हैं और गन्दी चीज़ों को उन पर ह़राम फ़रमाते हैं। (सूरह आराफ़-157/7) .
इस लिये अच्छी चीजें ह़लाल और बुरी और ख़राब चीज़ें ह़राम हैं और ह़लाल या ह़राम क़रार देने का हक़ सिर्फ अल्लाह तआला को है। लिहाज़ा जो शख्स उस हक़ को अपने लिये या किसी गै़र के लिये साबित करे तो वह काफ़िर है बल्कि कुफ्रे अकबर (बड़ा कुफ्र) का करने वाला हुआ जो इंसान को मिल्लते इस्लामिया से खा़रिज कर देता है। अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया है:
ام لهم شرکاء شرعوا لهم من الذين مالم يأذن به الله .
तरजुमा: क्या उन लोगों ने ऐसे शरीक बना लिये हैं जिन्होंने ऐसे अहकामे दीन मुक़र्रर कर दिये हैं जिनकी अल्लाह तआला ने इजाज़त नहीं दी है। (सूरह शूरा- 21/42)
फिर यह कि इल्म वाले जो कि किताब व सुन्नत के माहिर हैं उनके अलावा हर किसी को ह़लाल व ह़राम की बात करना जारज़ नहीं है और बिना इल्म के जो शख़्स किसी चीज़ को हराम या हलाल करार दे उसके लिये बहुत सख़्त धमकी व ख़बरदार किया गया है। अल्लाह तआला का फ़रमान है:
ولا تقولوا لما تصف الستكم الكذب هذا حلال و هذا حرام، لتفتروا على الله الكذب
तरजमा: किसी चीज़ को अपनी जुबान से झूट-मूट न कह दिया करो कि. यह ह़लाल है और यह ह़राम है कि अल्लाह पर झूट और बोहतान बान्ध लो। (सूरह नहल- 116/16)
जो चीज़ें पूरी तरह से ह़राम हैं उनका ज़िक्र कु़रआन पाक और हदीस शरीफ़ में मौजूद है चुनांचे फ़रमाने इलाही है:
قل تعالوا اتل مام ربكم عليكم الاتشركوا به شيئا و بالوالدين إحسانا ولا تقتلوا أولادكم من املاق……..
तरजुमा: आप कह दीजिये कि आओ मैं तुमको वह चीज़ें पढ़कर सुनाऊं जिनको तुम्हारे रब ने तुम्हारे ऊपर ह़राम फ़रमा दिया है और वह ये कि अल्लाह के साथ किसी चीज़ को शरीक मत ठेहराओ, और मां बाप के साथ अहसान करो, और अपनी औलाद को ग़रीबी के सबब क़त्ल मत करो। (सूरह अनआम-151/6)
इसी तरह हदीस में भी बहुत सारी मुह़र्रमात (ह़राम चीज़ों) का ज़िक्र मौजूद है जैसा कि प्यारे रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फ़रमान है।
ان الله كم بيع الخمر والميتة والخنزير والأصنام
तरजुमा: बेशक अल्लाह तआला ने शराब, मरे हुए जानवर, सुअर और बुतों (मूर्तियों) की ख़रीद व फ़रोख़्त ह़राम कर दी है।
(अबूदाऊद- 3486, शैख इब्ने बाज़ रह. ने फ़रमाया कि यह कर मुत्तफ़िक़ अलैह है)
तरजुमा: बेशक अल्लाह तआला ने जब किसी चीज़ को ह़राम क़रार दिया है तो उसकी क़ीमत भी ह़राम कर दी है। (दार कुत्नी 7/3 यह हदीस सहीह है)
अगले पेजों में और बहुत सी चीज़ो को ह़राम किये जाने के बारे में कुरआन पाक की खुली आयतें आ रही हैं, जैसा कि खाने पीने की ह़राम चीज़ों के बारे में अल्लाह तआला का इरशाद है:
حرمت عليكم الميتة والدم ولحم الخنزير وما أهل لغير الله به والمنخنقة والموقوذة والمتردية والنطيحة وما أكل السبع الا ما ذكيتم وما ذبح على النصب وأن تستقسموا بالازلام
तरजुमा: तुम पर ह़राम किया गया मुरदार, खू़न, और सुअर का गोश्त, और जिस पर अल्लाह के सिवा दूसरे का नाम पुकारा गया हो और जो जानवर गला घुटने से मरा हो, और जो किसी चोट से मर गया हो, और जो ऊंची जगह से गिर कर मरा हो, और जो किसी के सींग मारने से मरा हो, और जिसे दरिन्दों ने फाड़ खाया हो लेकिन तुम उसे जिबह कर डालो तो ह़राम नहीं, और जो आस्तानों पर ज़िबह किया गया हो, और यह भी कि कुरआ के तीरों के ज़रिये फ़ाल निकालो। (सूरह मायदा- 3/5)
इसी तरह निकाह के बारे में जिनसे निकाह करना ह़राम है उनका ज़िक्र करते हुए अल्लाह तआला ने फ़रमायाः
حرمت علیکم امهاتكم و بناتكم واخواتکم و عماتكم و خالاتكم و بنات الأخ و بنات الاخت وامهاتكم اللاتی ارضعنکم واخواتكم من الرضاعة و أمهات نسائكم – الخ
तरजमा: तुम्हारे ऊपर ह़राम कर दी गई हैं तुम्हारी माऐं, बेटियां, बेहनें, फूफियां, ख़ालाऐं, भतीजियां, भांजियां, रज़ाई (दूध शरीक) मायें रज़ाई बहनें और तुम्हारी बीवियों की माऐं…… वगै़रह। (सूरह निसा- 23/4)
तिजारत के सिलसिले में ह़राम की गई चीज़ों का ज़िक्र करते हुऐ अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल ने फ़रमायाः
واحل الله البيع و حرم الربا
तरजुमा: अल्लाह तआला ने ख़रीदना बेचना (कारोबार) को ह़लाल किया है और सूद (ब्याज) को ह़राम किया है। (सूरह बकरा 275/2)
फिर ख़ालिके कायनात ने जो कि अपने बन्दों पर बहुत ही मेहरबान है खाने और पीने की पाकीज़ा चीज़ों में से इतनी बेशुमार और बहुत तरह की चीजें ह़लाल फरमा दी हैं जिनकी गिन्ती मुश्किल है। इसी लिये अल्लाह तआला ने जो चीज़ें जाइज़ व ह़लाल की हैं उनका ब्योरा ब्यान नहीं फ़रमाया है। क्योंकि वह बहुत ज़्यादा हैं, अल्लाह पाक ने तो सिर्फ ह़राम की गई चीज़ों का ब्योरा ब्यान फ़रमा दिया है। क्योंकि इन्हें गिना भी जा सकता है और पहचान कर इनसे बचा भी जा सकता है, चुनांचे फ़रमाने इलाही है:
وقد فضل لكم ماحرم عليكم الا ما اضطررتم اليه
तरजुमा: अल्लाह तआला ने उन सब जानवरों की तफ़सील बता दी है जिनको तुम पर ह़राम किया है, मगर वह भी जब तुमको सख्त ज़रूरत पड़ जाये तो ह़लाल हैं। (सूरह अनआम-119/6)
और ह़लाल व पाकीज़ा चीज़ों के बारे में यह फ़रमायाः
یا ایها الناس كلوا ما في الأرض حلالا طيبا
तरजुमा: लोगो! ज़मीन में जितनी भी हलाल और पाकीज़ा चीज़ें हैं उन्हें खाओ, पियो। (सूरह बक़रा- 168/2)
यह अल्लाह तआला की रह़मत ही थी कि जब तक किसी के ह़राम होने की वजह और दलील न हो असल में तमाम चीज़ें ह़लाल और जाइज़ फ़रमा दीं। यह अल्लाह पाक का बहुत बड़ा अह़सान है जो उसने अपने बन्दों के लिये आसानी पैदा फ़रमा दी इस लिये हम सब पर (अल्लाह तआला की) इताअत व फ़रमांबरदारी (और उसका) शुक्र व अहसान वाजिब है।
कुछ लोग ह़राम चीज़ों का तफ्सील में ब्यान देखते हैं तो शरीअत का हुक्म जानकर उनके दिल तंग हो जाते हैं और यह उनके ईमान की कमज़ोरी और नादानी है। शायद वह लोग यह चाहते हैं कि सिर्फ ह़लाल चीज़ों को सिलसिले वार गिना दिया जाये ताकि उन्हें सब्र आ जाये और सुकून आ जाये कि यह दीन आसान है और उनके लिये लिस्ट बना कर दे दी जाये कि यह यह चीज़ें ह़लाल हैं तब उन्हें यक़ीन आये कि शरीअते इस्लामिया ने उनके ऐश व आराम में ज़हर नहीं घोला है। क्या वह यह चाहते हैं कि एक एक चीज़ का नाम लेकर कहा जाये कि ऊंट, गाय, बकरी, ख़रगोश, हिरन, पहाड़ी बकरा, मुर्गी, कबूतर, बतख, मुर्गाबी, शतुरमुर्ग, का ज़िबह किया हुआ गोश्त हलाल है और टिड्डी व मछली मरी हुई भी हलाल है।
और यह कि हरी सबज़ियां, फल, फ्रूट, हर तरह का अनाज हलाल है।
और पानी, दूध, दही, शहद, तेल और सिरका भी हलाल है। नमक मिर्च मसाले हलाल हैं।
और यह कि लकड़ी, लोहा, रेत, कंकरी, प्लास्टिक, शीशे और रबड़ का इस्तेमाल जाइज़ है।
और जानवर, कारों और ट्रेन, कश्तियों और जहाज़ की सवारी भी हलाल है।
और यह भी डिटेल के साथ जिक्र होना चाहिये कि एयरकंडीश्नर, फ्रीज, कपड़े धोने सुखाने, आटा पीसने, गंधने कीमा करने और जूस निकालने की मशीनें, और सरजरी व डॉक्ट्री और इंजीनियर, तामीर के औज़ार, आसमानी इल्म का जन्तर-मन्तर, पानी, पेट्रोल, और धातुऐं व पानी साफ़ व मीठा करने, छपाई व हिसाबात वगै़रा की मशीनें और औज़ार और कम्प्यूटर वगैरा का इस्तेमाल ठीक है।
और यह कि रूई, सूत, ऊन, बाल, चमड़ा, नायलोन और . पॉलिस्टर वगैरा की बनी हुई चीजें ह़लाल हैं।
और यह भी डिटेल के साथ एक एक चीज़ का ज़िक्र आना ।। चाहिये कि निकाह, ख़रीद फरोख़्त, उधार को किसी और के जि़म्मे लगाना, किराये पर कोई चीज़ हा़सिल करना, लोहे और लकड़ी का काम और दीगर पेशे और औज़ार ठीक करने के काम, बकरी वगै़रा चराना सब ह़लाल हैं।
क्या यह मुम्किन है कि उन हलाल चीज़ों का ज़िक्र जुदा जुदा किया जाये जो कायनात में भरी पड़ी है ? .
فما لهؤلاء القوم لا يكادون يفقهون حديثا
तरजुमा: उन लोगों को क्या हो गया है कि समझने की कोशिश ही नहीं करते। (सूरह निसा-78/4)
उनकी यह दलील कि “दीन तो आसान है” सहीह है लेकिन उनका मक़सद ग़लत है, इस हदीस में “युन” का मतलब यह है कि यह दीन लोगों की ख्वाहिशों के और राय के मुताबिक़ नहीं बल्कि शरीअत (अल्लाह के बनाये हुए का़नून) के मुताबिक़ है।
और अल्लाह तआला की आसान की हुई चीजें जैसे सफ़र में दो नमाज़ें मिला कर पढ़ना, और रोजे़ की छूट, बीमारी और बारिश की वजह से जमा बैनुस्सलातैन (दो नमाजें मिला कर पढ़ना), मोज़ों पर मसह मुकी़म के लिये एक दिन, मुसाफ़िर के लिये तीन दिन और तीन रातें, पानी की तकलीफ के अन्देशे के वक्त तयम्मुम करना, अजनबी औरत से मंगनी का इरादा है तो उसे देखना कसम कफ़्फ़ारे में गुलाम आज़ाद करना या खाने और कपड़े में किसी एक का इख़्तियार देना, मजबूरी की हालत में मुर्दे का गोश्त खाना, यह और इस तरह की दूसरी आज़ादियां और आसानियां हैं इन से दलील पकड़ना कि (नऊजु बिल्लाह) (अल्लाह बचाये) ह़राम काम भी जाइज़ हैं और यह कि दीन आसान है, बिला शक व शुबह यह सहीह है कि दीन आसान है लेकिन अल्लाह तआला की दी हुई आसानियों और आज़ादियों में और ह़राम में बड़ा फ़र्क है।
इसके अलावा (हर) मुसलमान को यह जान लेना चाहिये कि जो चीज़ें ह़राम की गई हैं उनके ह़राम करने में बहुत सारी हिक्मतें छुपी हुई हैं इनमें से एक यह है कि अल्लाह तआला उन ह़राम की गई चीज़ों के ज़रिये अपने बन्दों को आज़माता है और देखता है कि वह कैसा अमल करते हैं, दूसरे यह कि ह़राम की गई चीजें जन्नती और जहन्नमी लोगों में फर्क करने के लिये हैं, क्योंकि दोज़खी उन ऐशों में पड़ जाते हैं जिनसे जहन्नम घेर दी गई है, और जन्नती लोग मुसीबत और परेशानियों पर सब्र करते हैं जिन मुसीबतों से जन्नत घिरी हुई है। और अगर यह आज़माइश ना होती तो फ़रमांबरदार व नाफ़रमान में फ़र्क सामने नहीं आता। ईमान वाले जिन चीज़ों कामों को करते हैं उनको सवाब की उम्मीद और अल्लाह तआला की रज़ामंदी की नज़र से देखते हैं और उसके हुक्म पर सर झुका देते हैं इस तरह मुश्किलें और मशक्क़तें उनके ऊपर आसान हो जाती हैं, इसके उलट मुनाफिक लोग जिस काम को करने वाले बनाये गये हैं उसकी मशक्कत को दर्द व गम और रंज व मलाल और मेहरूमी व मायूसी की निगाह से देखते हैं। इस लिये यह चीजें उन पर बड़ी दुश्वार गुज़रती हैं और उन पर अमल उनके लिये बड़ा मुश्किल होता है।
इस के अलावा अल्लाह के फरमांबरदार बन्दे हराम की गई चीजों को छोड़ देने में मज़ा और मिठास मेहसूस करते हैं क्योंकि जो शख्स (अल्लाह तआला) की रज़ा के लिये कोई चीज़ छोड़ देता है तो अल्लाह तआला उसे (फ़ौरन) उसका बेहतरीन बदल अता फरमा देता है और वह ईमान की लज़्ज़त को अपने दिल में मेहसूस करता है।
पढ़ने वाले इस किताबचे में बहुत सी हराम की गई चीज़ो का ज़िक्र पढ़ेंगे जिनका शरीअत में हराम होना कुरआन व सुन्नत से साबित है और ये ऐसी ममनूआ (मना की गई) चीजें और मना किये गये काम हैं जो मुसलमानों के अन्दर रच बस गये हैं और उनका किया जाना आम हो चुका है। लोगों की जानकारी, भलाई और खैरख्वाही की गरज़ से मैंने यह चन्द मुहर्रमात ज़िक्र कर दी हैं।
मैं अल्लाह तआला से अपने लिये और अपने मुसलमान भाइयों के लिये हिदायत व तौफ़ीक़ और अल्लाह तआला की हदों में रहने की दुआ करता हूं। अल्लाह तआला हम सबको हराम कामों और हराम चीज़ों से बचाये। बेशक अल्लाह तआला बचाने वाला और रहम करने वाला है। आमीन।
नोट: इस किताब को कई मशाइख़ किराम ने पढ़ा है अल्लाह तआला उन्हें अज्रे अज़ीम से नवाज़े, इनमें सबसे आगे समाहतुश्शैख़ अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ (रहिमहुल्लाह) हैं, आपने कुछ मश्वरे और तालीमात तहरीर फ़रमाई हैं जिनका ख्याल किया गया और नक्ल करदी गई हैं।
ولوالدي وللمومنين يوم يقوم الحساب وصلى الله وسلم على نبينا محمد و على آله وصحبه اجمعين
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