Umar Bin Khattab (RA) : क़ुबूले इस्लाम और हिजरत : Part 4


 بِسمِ اللہ ِالرَّحمٰنِ الرَّحِیم

اَلحَمدُ للہِ رَبِّ العٰلَمِینَ وَالصَّلَاۃُ وَالسَّلَامُ عَلٰی رَسُولِہِ الاَمِینِ وَالعَاقِبَۃُ لِلمُتَّقِینَ، اَمَّا بَعدُ

अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, वस्सलातु वस्सलामु अला रसूलिहिल अमीन, वल आक़िबतु लिल मुत्तक़ीन, अम्मा बाद! 

हम्दो सना सिर्फ अल्लाह तआला के लिए हैं जो सारे जहानों का रब है और दुरूद व सलाम नाज़िल हों उसके सारे अम्बिया अलइहिमुस्सलाम पर, बिल ख़ुसूस उसके आखि़री पैग़म्बर जनाब मुहम्मद रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम पर और उनके आल व असहाब, उम्मुल मुमिनात और अज़वाजे मुतह्हरात पर और अल्लाह तआला रहम व करम फरमाऐ हम सब पर, आमीन!

“अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिउं व अला आलि मुहम्मद कमा सल्लइता अला इब्राहीमः व अला आलि इब्राहीमः इन्नकः हमीदुम्मजीद अल्लाहुम्मः बारिक अला मुहम्मदिउं व अला आलि मुहम्मद कमा बारकता अला इब्राहीमः व अला आलि इब्राहीमः इन्नमा हमीदुम्मजीद।”

Umar Bin Khattab (RA) : सबसे पहले आपके दिल पर नूर की किरणें उस वक़्त पड़ीं जब आप ने देखा कि क़ुरैश की औरतें आप रज़िअल्लाहु अन्हु और आप जैसे दीगर लोगों की बद सुलूकियों से तंग आकर अपना मुल्क छोड़कर दूसरे मुल्क में जा रहीं हैं। उस वक़्त आपका दिल नरम पड़ गया, और ज़मीर ने आपको मलामत किया। आपने उन पर इज़हारे ग़म किया और उनको ऐसा बेहतरीन कलाम सुनाया कि जिसे सुनने की वो आप से कभी उम्मीद भी नहीं रखती थीं।

उम्मे अब्दुल्लाह बिन्त हन्तमा का बयान हैः जब हम हिजरते हब्शा के लिए कूच कर रही थीं तो उमर आये और मेरे पास खड़े हो गये। हमें उनकी बहुत सी अज़ीयतों और सख़्तियों को सामना करना पड़ रहा था, उन्होंने मुझ से कहाः ऐ उम्मे अब्दुल्लाह! क्या कूच का इरादा है? मैंने कहाः हाँ, अल्लाह की क़सम, हम ज़रूर अल्लाह की ज़मीन में हिजरत करेंगे। तुम लोगों ने हम को तकलीफ दी है, सताया है। यहाँ तक कि अल्लाह हमारे लिए कुशादगी पैदा करदे।

उमर रज़िअल्लाहु अन्हु ने फरमायाः अल्लाह आप लोगों का साथी हो। मैंने इस वक़्त आपकी तरफ से ऐसी रिक़्क़त व नरमी देखी जो कभी न देखी थी। चुनांचे जब आमिर बिन रबीया तशरीफ लाये जो अपनी बाज़ ज़रूरत के लिए बाहर गये हुए थे, और मैंने उनसे वाक़िया बयान किया तो उन्होंने कहाः लगता है कि तुम उमर के इस्लाम की उम्मीद रखती हो? मैंने कहाः हाँ। उन्होंने कहाः वो उस वक़्त तक इस्लाम नहीं ला सकता जब तक ख़त्ताब का गधा इस्लाम न ले आये। (यानी ये नामुमकिन है)।

उमर मुसलामनों के अज़्म व यक़ीन को देखकर बहुत मुतासिर हुए, और एहसास किया कि उनका सीना तंग है। इस नए दीन के मानने वाले इतनी ज़बर्दस्त मुश्किलात व मसाइब का सामना कर रहे हैं फिर भी वो उस पर जमे हुए हैं। आखि़र इस नाक़ाबिले तसख़ीरे क़ुव्वत का राज़ क्या है? आप ग़मगीन हुए और दिल को एक झटका लगा। उस वाक़िये के कुछ ही दिनों बाद नबी सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम की दुआ की वजह से आप इस्लाम ले आये, दुआ-ए-नबी सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम ही आपके क़ुबूले इस्लाम का बुनियादी सबब थे। आप सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम ने दुआ की थीः

‘‘ऐ अल्लाह! अबू जहल बिन हिशाम और उमर बिन ख़त्ताब में जो तेरे नज़दीक ज़्यादा महबूब हो उसके ज़रिए इस्लाम को ग़ालिब कर दे।’’

आप सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम का इरशाद हैः अल्लाह के नज़दीक उन दोनो में से उमर ज़्यादा पसंदीदा थे।

अल्लाह तआला ने उमर (रज़िअल्लाहु अन्हु) के क़ुबूले इस्लाम के लिए असबाब मुहैया किया। अब्दुल्लाह बिन उमर रज़िअल्लाहु अन्हुमा का बयान हैः मैंने उमर को अगर कभी किसी चीज़ के बारे में ये कहते हुए सुना कि ‘‘मेरे ख़्याल में ये ऐसे होगा’’ तो वो उनके ख़्याल के मुताबिक़ ही हुआ। चुनांचे उमर बैठे हुए थे, आपके सामने से एक ख़ूबसूरत आदमी गुज़रा। उमर ने कहाः मेरे गुमान ने ख़ता की या ये शख़्स दौरे जाहलियत के अपने दीन पर है, या उनके काहिनों में से था। आदमी को मेरे पास बुलाओ, उसको बुलाया गया। आपने उस से वही (गुमान वाली) बात दोहराई। अब्दुल्लाह बिन उमर का कहना है कि मैंने आज की तरह किसी मुसलमान आदमी का आपको इस्तिक़बाल करते नहीं देखा।

उमर रज़िअल्लाहु अन्हु ने फरमायाः तुम मुझे अपने बारे में ज़रूर बताओ।

उस आदमी ने कहाः मैं ज़माना-ए-जाहलियत में काहिन था।

उमर: तुम्हारी जिन्निया ने तुम्हें कौन सी ताज्जुब ख़ेज़ ख़बर दी?

आदमी: एक दिन जब मैं बाज़ार में था, वो मेरे पास घबराई हुई आई और कहाः क्या तुम जिन्नात और उसकी मायूसी आसमान से उलटे मुंह लौटाए जाने के बाद उसके रंज व अलम और ऊँटनियों वान के पालान से उसके चिमट जाने को नहीं देखा?

उमर: सच है, मैं उसके माबूदों के पास सोया हुआ था, एक आदमी बछड़ा लेकर आया और उसने ज़िबह किया। उसने ज़ोर की चीख़ मारी, ऐसी चीख़  कि उससे तेज़ आवाज़ मैंने कभी न सुनी थी, वो कह रहा थाः ऐ दुश्मन! ममला काबयाबी का है। आदमी फसीहुल लिसान है, वो कहता हैः ‘‘ला इलाहा इल्लल्लाहु’’ फिर मैं ख़ड़ा हो गया, और कुछ ही लम्हा ठहरे थे कि कहा गयाः ये नबी हैं।

आप रज़िअल्लाहु अन्हु के क़ुबूले इस्लाम के बारे में बहुत सी रिवायतें वारिद हैं, लेकिन फने हदीस के मैयार के मुताबिक़ उसकी सनदों की तहक़ीक़ के बाद मालूम होता है कि उनमें अकसर सहीह नहीं हैं। ता-हम सीरत व तारीख़ की किताबों में मज़कूर रिवायात के मुताबिक़ आपके क़ुबूले इस्लाम और इसके ऐलान को दर्ज ज़ेल उनवानों में तक़सीम किया जा सकता है-

  • रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम को क़त्ल करने का इरादाः
  • अपनी बहन फातिमा बिन्त ख़त्ताब के घर पहुँचना और भाई के सामने उनका साबित क़दम रहना
  • रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम के पास जाना और क़ुबूले इस्लाम
  • दावत इलल्लाह के लिए जम जाना और उसके लिए मुश्किलात बर्दाश्त करना
  • उमर रज़िअल्लाहु अन्हु के क़ुबूले इस्लाम का इस्लामी दावत पर अस़र

इंशा अल्लाह अगले आटिकल में ‘‘रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलइहि वसल्लम को क़त्ल करने का इरादा’’ उनवान पर रोशनी डाली जायेगी।

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