Sunehri Kirnen Story 01 : चाँद मेरे हुजरे में : The Moon In My Room

 Sunehri Kirnen Story 01 : इस पोस्ट में हज़रत आईशा रज़ियल्लाहु अन्हा का एक बहुत ही नसीहत आमूज़ क़िस्सा सुनाया गया है। जिसका नाम है चाँद मेरे हुजरे में The Moon In My Room. जिसमें हज़रत आईशा रज़ियल्लाहु अन्हा का एक ख़्याब बयान किया गया है। ये क़िस्सा बहुत ही अच्छा है इसे ज़रूर पढ़ें। Sunehri Kirnen Story 01 –

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, अर्रहमानिर्रहीन, मालिकि यऊ मिद्दीन, इय्याकः नअबुदु व इय्याकः नस्तईन, इह्दिनस्सिरातल मुस्तक़ीम, वस्सलातु वस्सलामु अला रसूलिहिल अमीन वल आक़िबतु लिल मुत्तक़ीन, अम्मा बाद!

सब तारीफ अल्लाह के लिए है जो सारे जहानों का रब है और दुरूद व सलाम नाज़िल हों आखि़री पैग़म्बर जनाब मुहम्मद रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम पर। 

अल्लाहुम्मा सल्लि व सल्लिम व बारिक अलैह!

चाँद मेरे हुजरे में

मुअत्ता इमाम मालिक में यहया बिन सईद से रिवायत है कि हज़रत आईशा रजिअल्लाहु अन्हा ने इरशाद फरमायाः 

رأيت ثلاثة أقمار سقطن في حجرتي، فوصفت رؤياي على أبي بكرالصديق

‘‘रअईतु सलासता अक़्मारिन सक़त्ना फी हुज्रती फउ सफ्तु रूअयायः अला अबी बक़रिन सिद्दीक़’’

 मैंने ख़्वाब में देखा कि तीन चाँद मेरे हुजरे में गिरे हैं। मैंने अपने ख़्वाब का तज़किरा (अपने वालिदे मोहतरम) हज़रत अबु बकर सिद्दीक़ (रजिअल्लाहु अन्हु) से किया।

तबक़ात इब्ने सअद की रिवायत में है कि अबु बकर (रजिअल्लाहु अन्हु) ने पूछा: तुम ने इस ख़्वाब की ताबीर क्या की है? मैंने अर्ज़ किया: 

اولتها ولدا من رسول الله صلي الله عليه وسلم

‘‘अवल्लतुहा वलदन मिन रसूलिल्लाहि सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम’’

मैंने अपने तौर पर ये तअबीर की है कि मेरे हां रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम से औलाद पैदा होगी। 

ये सुन कर हज़रत अबु बकर सिद्दीक़ (रजिअल्लाहु अन्हु) ख़ामोश हो गये, फिर जब रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलईहि वसल्लम का इंतिक़ाल हो गया और आप हज़रत आईशा सिद्दीक़ा रजिअल्लाहु अन्हा के हुजरे में दफन किये गये तो हज़रत अबु बकर सिद्दीक़ (रजिअल्लाहु अन्हु) ने (ख़्वाब की ताबीर के तौर पर) फरमाया: 

هذا أحد أقمارك وهو خيرها

‘‘हाज़ा अहदु अक़मारिकि व हुवा ख़इरूहा’’ 

तुम्हारे एक चांद ये हैं और बक़िया दोनों चादों से बेहतर हैं। 

(मुअत्ता इमाम मालिक, किताबुल जनाइज़, बाब मा जाआ फी दफनुल मइयत: 232/1)

बाद में हज़रत अबु बकर और हज़रत उमर रजिअल्लाहु अन्हुम भी हज़रत आईशा रजिअल्लाहु अन्हा के हुजरे में दफन किये गये।

शहाबुद्दीन बिन ज़ियाउद्दीन

(फाउण्डर/ट्रस्टी)

अल-इस्लाम फाउण्डेशन – एआईएफ

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