The Holy Quran Question and Answer 1

Question: 01)

वो कौन सी आयत है जिसमें मुनाफ़िक़ों को सहाबा की तरह ईमान लाने का हुक्म दिया गया है?

Wo kaun si Aayat hai jisme Munafiqon ko Shabah ki tarah Iman lane ka hukm diya gaya hai?

Answer: सूरह अल फ़ातिहा सूरह नंबर 1 से सूरह अल बक़रः सूरह नंबर 2 की आयत नंबर 20 तक तर्जुमा पढ़कर सही  जवाब तलाश करें-

सूरह अल फ़ातिहा 1 तर्जुमा आयत नंबर 01 से 07 तक

शुरू करता हूँ अल्लाह तआला के नाम से जो बढ़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है

1. सब तारीफ़ अल्लाह के लिए है जो सारे जहान का मालिक है।

2. बहुत मेहरबान निहायत रहम करने वाला है।

3. इंसाफ़ के दिन का मालिक है।

4. हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद चाहते हैं।

5. हमको सीधा रास्ता दिखा।

6. उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने फ़ज़्ल किया।

7. उनका रास्ता नहीं जिन पर तेरा ग़ज़ब हुआ, और न उन लोगों का रास्ता जो तेरे रास्ते से भटक गए।

सूरह अल बक़रः 2 तर्जुमा आयत नंबर 01 से 20 तक

1. अलिफ, लाम, मीम

2. ये अल्लाह की किताब है, इसमें कोई शक नहीं। हिदायत है उन परहेज़गार लोगों के लिये

3. जो ग़ैब पर ईमान लाते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं, जो रिज़्क़ हमने उनको दिया है, उसमें से ख़र्च करते हैं,

4. जो किताब तुमपर नाज़िल की गई है  [ यानी क़ुरआन] और जो किताबें तुमसे पहले नाज़िल की गई थीं उन सब पर ईमान लाते हैं, और आख़िरत पर यक़ीन रखते हैं।

5. ऐसे लोग अपने रब की तरफ़ से सीधे रास्ते पर हैं और वही कामयाब होनेवाले हैं।

6. जिन लोगों ने  [ इन बातों को मानने से] इनकार कर दिया, उनके लिये बराबर है, चाहे तुम उन्हें ख़बरदार करो या न करो, बहरहाल कभी भी वो मानने वाले नहीं हैं।

7. अल्लाह ने उनके दिलों और कानों पर मुहर लगा दी है। [ 10] और उनकी आँखों पर परदा पड़ गया है। वो सख़्त सज़ा के हक़दार हैं।

8. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह पर और आख़िरत के दिन पर ईमान लाए हैं, हालाँकि हक़ीक़त में वो ईमानवाले नहीं हैं।

9. वो अल्लाह और ईमान लानेवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, मगर असल में वो ख़ुद अपने आप ही को धोखे में डाल रहे हैं और उन्हें इसका शुऊर नहीं है।

10. उनके दिलों में एक बीमारी है जिसे अल्लाह ने और ज़्यादा बढ़ा दिया और जो झूठ वो बोलते हैं, उसके बदले में उनके लिये दर्दनाक सज़ा है।

11. जब कभी उनसे कहा गया कि धरती में बिगाड़ न पैदा करो, तो उन्होंने यही कहा कि हम तो सुधार करनेवाले हैं

12. ख़बरदार ! हक़ीक़त में यही लोग बिगाड़ पैदा करनेवाले हैं, मगर इन्हें शुऊर नहीं है।

13. और जब इनसे कहा गया कि जिस तरह दूसरे लोग ईमान लाए हैं उसी तरह तुम भी ईमान लाओ तो इन्होंने यही जवाब दिया, “क्या हम बेवक़ूफ़ों की तरह ईमान लाएँ?” – ख़बरदार! सच तो ये है कि ये ख़ुद बेवक़ूफ़ हैं, मगर ये जानते नहीं।

14. जब ईमानवालों से मिलते हैं तो कहते हैं कि हम ईमान लाए हैं और जब अकेले में अपने शैतानों से मिलते हैं तो कहते हैं कि असल में तो हम तुम्हारे साथ हैं और उन लोगों से सिर्फ़ मज़ाक़ कर रहे हैं

15. अल्लाह इनसे मज़ाक़ कर रहा है। वो इनकी रस्सी लम्बी किये जाता है और ये अपनी सरकशी में अन्धों की तरह भटकते चले जाते हैं।

16. ये वो लोग हैं जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही ख़रीद ली है, मगर ये सौदा इनके लिये फ़ायदेमंद नहीं है और ये हरगिज़ सही रास्ते पर नहीं हैं।

17. इनकी मिसाल ऐसी है जैसे एक आदमी ने आग जलाई, और जब उसने सारे माहौल को रौशन कर दिया तो अल्लाह ने इनके देखने की रौशनी छीन ली और इन्हें इस हाल में छोड़ दिया कि अन्धेरियों में इन्हें कुछ नज़र नहीं आता।

18. ये बहरे हैं, गूँगे हैं, अन्धे हैं, ये अब न पलटेंगे।

19. या फिर इनकी मिसाल यूँ समझो कि आसमान से ज़ोर की बारिश हो रही है और उसके साथ अँधेरी घटा और कड़क और चमक भी है, ये बिजली के कड़ाके सुनकर अपनी जानों के डर से कानों में उँगलियाँ ठूँस लेते हैं और अल्लाह हक़ के इन इनकारियों को हर तरफ़ से घेरे में लिये हुए है।

20. चमक से इनकी हालत ये हो रही है कि मानो बहुत जल्द बिजली इनकी आँखों की रौशनी उचक ले जाएगी। जब ज़रा कुछ रौशनी इन्हें महसूस होती है तो उसमें कुछ दूर चल लेते हैं और जब इन पर अँधेरा छा जाता है तो खड़े हो जाते हैं। – अल्लाह चाहता तो इनके सुनने और देखने की ताक़त बिलकुल ही छीन लेता, यक़ीनन वो हर चीज़ की क़ुदरत रखता है।

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